हिमाचल में निर्मित 7 उद्योगों की 6 दवाएं व एक पेन रिलीफ स्प्रे के सैंपल हुआ फेल

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DNN नालागढ़ ( श्वेता)
केंन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की पड़ताल में देश के विभिन्न राज्यों में निर्मित 35 दवाएं सबस्टेंंडर्ड पाई गई है,इनमें दो दवाएं मिस ब्रांडेड निकली है । हिमाचल के 7 दवा उद्योगों में निर्मित 6 दवाएं व एक पेन रिलिफ स्प्रै भी गुणवत्ता मानकों पर खरा नही़ उतर पाया है, पावंटा साहिब के उद्योग में निर्मिंत दवा मिसब्रांडेड पाईं गईं है। हिमाचल में निर्मिंत और सबस्टेंडड निकली दवाओं का इस्तेमाल आमतौर पर अनिंद्रा, एलर्जी, बैक्टिरियल इंफेक्शन , दर्द के उपचार में किया जाता है। राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने ड्रग अर्लंट आते ही तुरंत हरकत में आते हुए सबंधित दवा कंपनियों को नोटिस जारी कर बाजार से फेल हुए दवा उत्पादों का पुरा बैच हटाने के आदेश जारी कर दिए है।
सनद रहे कि केंद्रीय नियामक की इस कवायद का मकसद गुणवता मानको पर खरा न उतरने वाले मसलन ऐसे दवा उत्पादो जो मानक गुणवत्ता की कसौटी पर खरे न उतरे हो,नकली,मिलावटी या मिसब्रांडेड पाए गए हो की जानकारी देश के तमाम राज्यों के दवा नियामक प्राधिकरण ने को देते हुए तत्काल इसकी आपुर्ति व बिक्री पर प्रतिबंध लगाना है,ताकि जनता को जल्द से जल्द ऐसे उत्पादो के इस्तेमाल से रोका जा सके। इसी कड़ी में नबंबर माह में केंन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने  देश भर के अलग अलग राज्यों से 1385 दवाओं के सैंपल एकत्रित किए थे जिनमें से जांच के दौरान 35 दवाएं सबस्टेंडर्ड पाई गई,जबकि 1350 दवाएं गुणवता के पैमाने पर सही निकली है। इनमें हिमाचल के 7  दवा उद्योंगों में निमिर्त 6 दवाएं व एक पेन रिलिफ स्प्रे भी शामिल है।  डिप्टी ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर  बताया कि सबंधित फार्मा कंपनियों को कारण बताओं नोटिस जारी करते हुए उन्हें सबस्टेंडर्ड दवा का पुरा स्टॉक बाजार से हटाने के आदेश दे दिए गए है। इसके अलावा सबंधित क्षेत्रों के सहायक दवा नियंत्रकों को उन यूनिट की विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा है जिनकी दवाओं के सैंपल बार बार फेल हो रहे है जबकि दवा निरिक्षकों को अन्य उद्योगों का निरिक्षण कर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।

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