PGI में हिम केयर के भुगतान की जिम्मेदारी कौन लेगा: जयराम ठाकुर

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DNN मंडी

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि कुछ दिन पहले पीजीआई में हिम केयर से इलाज की व्यवस्था शुरू करने की बात सामने आई और सरकार में बैठे एक-एक नेता, मंत्री ने इसका खूब ढिंढोरा पीटा। डिजिटल, सोशल, इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट से लेकर सड़कों को होर्डिंग से पाट दिया गया कि पीजीआई से एमओयू साइन हो गया है। छह महीने भी व्यवस्था ठीक से नहीं चल पाई और सरकार ने पीजीआई का भुगतान भी रोक दिया है। जिसकी वजह से बहुत जटिल और जानलेवा बीमारियों का प्रदेश के बाहर इलाज करवा रहे हिमाचल प्रदेश के लोग अब परेशान हो रहे हैं। सरकार ने पीजीआई के 14 करोड रुपए का भुगतान रोक दिया है जिसके कारण पीजीआई ने भी हिम केयर के तहत मरीज का इलाज करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। चंडीगढ़ के हिम केयर के बिलों का भुगतान आखिर किसकी जिम्मेदारी है। राहुल गांधी के अखबार को अपना अखबार कहकर मनमाना विज्ञापन देने का दंभ दिखाने वाले मुख्यमंत्री बताएं कि क्या पीजीआई में इलाज करवा रहे हिमाचल के लोग उनके अपने नहीं है? क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं बनती है कि समय से वह हिम केयर के पीजीआई के बिलों का भुगतान करे।

जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खु सरकार जन सरोकारों से दूर संवेदनहीन सरकार है। झूठी गारंटियों के दम पर सत्ता में आई सुक्खू सरकार ने प्रदेश के हर शहर में नया दौर के पोस्टर लगवा कर कहा था कि प्रदेश के लोगों को असुविधा नहीं होने दी जाएगी। जनकल्याणकारी योजनाओं को बंद नहीं किया जाएगा। प्रदेश और प्रदेशवासियों का हित सर्वोपरि होगा। लेकिन सरकार की करनी में यह नजर नहीं आता है। एक तरफ प्रदेश के लोग इलाज के अभाव में दावों के अभाव में अस्पतालों में परेशान हो रहे हैं दूसरी तरफ सरकार अपने मित्रों सहयोगियों पर खूब धन लुटा रही है। इसके साथी प्रदेश संसाधनों को लूटने वालों को खुला संरक्षण दे रही है जिसकी वजह से प्रदेश में हर जगह किसी ने किसी प्रकार का माफिया राज हावी हो रहा है। सुक्खू सरकार का नया दौर प्रदेशवासियों के लिए बहुत बुरा दौर साबित हो रहा है।

जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के संसाधनों पर खुली लूट का एक मामला पावर कारपोरेशन में देखने को मिला है। जिसकी वजह से पावर कारपोरेशन के महाप्रबंधक और चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मृत्यु भी हुई है। सैकड़ो करोड़ का घोटाला सिर्फ पेखुवेला में सामने आ रहा है। इसी के साथ शौंग टोंग में भी तमाम तरीके की अनियमितताएं सामने आ चुकी हैं। इसके बाद भी सरकार उन आरोपों की जांच करने से कतरा रही है। मुख्यमंत्री विमल नेगी जी के भाई, पत्नी और मां से किए अपने वादे को भूल गए हैं। मुख्यमंत्री द्वारा तय की गई समय सीमा के बाद भी विमल लगी के परिजनों को इंसाफ नहीं मिला है। इसलिए न्याय का तकाज़ा यही है कि इस पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाए जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। इस मामले की जांच को सीबीआई को सौंपने में जिन लोगों द्वारा भी अड़ंगा लगाया जा रहा है? हिमाचल प्रदेश के लोगों को उन्हें जवाब देना होगा।

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