DNN सराहां (सुरेश कुमार)
वैसे तो हिमाचल प्रदेश देवभूमि के नाम से जाना जाता है जहां पर देवी देवताओं के ऐतिहासिक अनेक देव स्थल हैं जो पर्यटकों के लिए आस्था व आकर्षण का केंद्र रहते है। वैसा ही एक ऐतिहासिक शिव मंदिर जो पच्छाद की सुंदर पहाड़ियों में है । सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन से 70 व पच्छाद विकास खंड मुख्यालय सराहां से 30 किलोमीटर दूर स्थित है यह महाकाल शिव मंदिर मानगढ़ गांव में अद्भूत नक्काशी का खूबसूरत नमूना है। इस मंदिर का इतिहास पांडवों से जुडा हुआ है। यह प्राचीन मंदिर मध्य हिमालय की शिवालिक पहाडिय़ों की गोद में मानगढ़ पंचायत में स्थित है। इतिहासकारों व गांव के बड़े बुजुर्ग लोगों ने बताया कि यह मंदिर पांडवों द्वारा निर्मित है।
इस मंदिर के दरवाजे को एक बडी शिल्ला से काटकर बनाया गया है। जिस पर अद्भूत नक्काशी भी की गई है। यही नहीं मंदिर में जितनी भी मूर्तियां हैं, उन्हें पत्थरों से काटकर बनाया गया है। जिसकी सबसे खास बात यह है कि जिस पत्थर को काटकर मंदिर व मूर्तियां बनी हैं। वह पत्थर इस क्षेत्र में पाया ही नहीं जाता। बताया जाता है कि उन पत्थरों को भीम द्वारा उठा कर लाया गया था। मंदिर की दीवारों पर खुदे नक्षत्र दर्शन में पांच ग्रह ही दर्शाए गए हैं, जो इसके प्राचीनतम इतिहास के गवाह है।
यह मंदिर हिमाचल में ही नहीं, बल्कि अपने प्राचीनतम इतिहास को लेकर पूरे भारत व विश्वभर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में स्थित महाकाल की शिवलिंग के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं। मंदिर के पिछले हिस्से में गाय को मारते हुए बाघ व बाघ को मारते हुए अर्जुन के चित्रों को पत्थरों पर दिखाया गया है। पांडवों द्वारा निर्मित इस शिव मंदिर के समीप ही भगवान कृष्ण का मंदिर है। जिसको लेकर अभी पता नहीं कि यह मंदिर भी कितना पुराना है। स्थानीय भाषा में इस स्थान को ठाकुरद्वारा भी पुकारा जाता है। ठाकुरद्वारा का अर्थ है, भगवान विष्णु का निवास स्थान। कृष्ण मंदिर में पूजा अर्चना के साथ-साथ जन्माष्टमी पर मेले का आयोजन भी किया जाता है।
शिव व कृष्ण मंदिर के पास एक नाला बहता है। जो थोडी दूरी पर एक बडे झरने का रूप धारण कर लेता है। इसे सिरमौर जिला का सबसे ऊंचा झरना बताया गया है। इसकी ऊंचाई 125 मीटर से अधिक बताई जाती है।
1500 साल पुराना है शिव मंदिर :- हालांकि यह तय नहीं हैं कि मानगढ़ स्थित शिव मंदिर कितना पुराना हैं। मगर शोधकर्ताओं द्वारा यह मंदिर करीब 1500 साल से अधिक पुराना बताया जाता है।
1992 में पुरातत्व विभाग ने लिया अपने अधीन :- वर्ष 1992 में यह मानगढ़ शिव मंदिर को पुरातत्व विभाग ने अपने अधीन ले लिया। इस मंदिर की विडंबना यह है कि पुरात्व विभाग के अधीन चले जाने के बाद भी यह मंदिर राष्ट्रीय स्तर पर बैजनाथ शिव मंदिर की तरह अपनी पहचान नहीं बना पाया। जबकि इस शिव मंदिर व बैजनाथ शिव मंदिर में काफी बाते एक-दुसरे से मिलती है।
2003-04 में खुदाई के दौरान मिला था गणेश मंदिर :- जानकारी के मुताबिक वर्ष 2003-04 में शिव मंदिर के समीप खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग को गणेश मंदिर भी मिला था। जिसका निर्माण गुप्त काल की शैली में हुआ बताया जाता है। यह मंदिर ईसा में 2500 वर्ष पूर्व निर्मित या पांचवी, छठी शताब्दी का बताया जाता है।
दो बीघा जमीन में कई बार हो चुकी खुदाई : पुरातत्व विभाग के पास शिव मंदिर के आसपास दो बीघा जमीन है। जिसमें विभाग कई बार खुदाई का कार्य कर नए मंदिरों के बारे में और जानकारी जुटाने के प्रयास कर चुका है। पुरातत्व विभाग द्वारा यहां एक स्मारक परिचायक भी नियुक्त किया गया है। जोकि मंदिरों के रखरखाव का ध्यान रखता है।
पुरातत्व विभाग द्वारा नियुक्ति शिव मंदिर के स्मारक परिचायक परशुराणी त्रिपाठी ने बताया कि यह शिव मंदिर गुप्त कालीन शैली में बना है। जो छठी शताब्दी से भी पुराना है। मानगढ़ शिव मंदिर व बैजनाथ शिव मंदिर में काफी बाते एक-दुसरे से मिलती जुलती है।