DNN सोलन
लोकसभा चुनावों के दौरान किसी भी तरह के राजनीतिक विज्ञापन का प्रमाणीकरण आवश्यक है। जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त विनोद कुमार ने आज कहा कि भारत निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशों के मुताबिक प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रकाशित व प्रसारित होने वाले सभी तरह के राजनीतिक विज्ञापनों का प्रमाणीकरण जिला स्तरीय मीडिया प्रमाणीकरण एवं निगरानी समिति यानी एमसीएमसी द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एमसीएमसी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर निगरानी रखे हुए है। सभी तरह के विज्ञापनों और पेड न्यूज़ की श्रेणी में आने वाले समाचारों के खर्च को प्रत्याशियों के चुनावी खर्च में जोड़ा जाएगा। उन्होंने जिले में संचालित सभी केबल ऑपरेटरों को भी यह निर्देश देते हुए कहा कि वे अपने केबल नेटवर्क पर ऐसा कोई भी विज्ञापन अथवा ऑडियो विजुअल सामग्री प्रसारित ना करें जिसका प्रमाणीकरण मीडिया प्रमाणीकरण एवं निगरानी समिति (एमसीएमसी) द्वारा ना किया गया हो।
जिला निर्वाचन अधिकारी ने मीडिया से भी आग्रह करते हुए कहा कि मीडिया तथ्यों पर आधारित समाचारों को ही प्रकाशित या प्रसारित करें। इस तरह के समाचारों से गुरेज करें जो संविधान और भारत निर्वाचन आयोग के प्रावधानों के अनुरूप ना हों। किसी भी व्यक्ति या वर्ग विशेष की भावनाओं को आहत या गुमराह करने वाले समाचार भी प्रकाशित या प्रसारित ना करें। उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को संपन्न करवाने में मीडिया की भी अत्यंत ही महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।
विनोद कुमार ने बताया कि चुनाव प्रचार के दौरान पोस्टर और पैंफलेट इत्यादि के प्रकाशन को लेकर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127 ए के तहत प्रावधान है कि उन पर प्रिंटर और प्रकाशक का नाम व पता छापना अनिवार्य होगा। जिला निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि चुनाव प्रचार के लिए जो भी सामग्री प्रकाशित की जा रही है उसे आदर्श आचार संहिता के अनुरूप ही मुद्रित किया जाए। उन्होंने कहा कि मुद्रित सामग्री में अवांछनीय एवं भड़काऊ व किसी की भावना को आहत करने वाली शब्दावली का प्रयोग नहीं किया जा सकता । यदि ऐसा नहीं किया जाएगा तो भारत निर्वाचन आयोग के प्रावधानों के मुताबिक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। गौरतलब है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रत्येक प्रत्याशी के लिए चुनावी खर्च की सीमा 70 लाख रुपए तय की गई है।