नौणी के प्रतिनिधियों ने लिया इंडिया अफ्रीका उच्च शिक्षा एवं कौशल विकास शिखर सम्मेलन में भाग

Education Solan

 DNN सोलन

डॉ वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय,नौणी ने बागवानी,वानिकी और संबद्ध विषयों के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता की ओर कदम बढ़ा दिया है। यह कदम विश्वविद्यालय की उस पहल का हिस्सा है जिसके तहत वैश्विक संपर्क और साझेदारी को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ कार्य और प्रतिस्पर्धा की जा सके। 

नई साझेदारी बनाने की दिशा में नौणी विश्वविद्यालय के एक तीन सदसीय दल, जिसका नेतृत्व कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने किया इस सप्ताह की शुरुआत में नई दिल्ली में आयोजित इंडिया अफ्रीका उच्च शिक्षा एवं कौशल विकास शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस शिखर सम्मेलन का आयोजन भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) द्वारा किया गया। भारत के कई विश्वविद्यालयों और संस्थानों के अलावा 17 अफ्रीकी देशों के 75 से अधिक प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया। 

विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ राजेश भल्ला और डॉ कुलवंत राय भी इस टीम का हिस्सा रहे। इस दल ने कई अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधियों के साथ सहयोगी अनुसंधान, छात्र और संकाय एक्स्चेंज के लिए साझेदारी की संभावना पर चर्चा की। घाना,इथियोपिया,नाइजीरिया, केन्या और सूडान सहित कई देशों ने कृषि-बागवानी,वानिकी और संबद्ध विषयों के लिए विश्वविद्यालय के साथ गठबंधन विकसित करने में गहरी रुचि दिखाई। डॉ कौशल ने बताया की अंतर्राष्ट्रीय संबंध किसी भी संस्था के विकास के लिए महत्वपूर्ण है और विश्वविद्यालय ने इस क्षेत्र को मजबूत करने और नई अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी बनाने का निर्णय लिया है। सहयोग के लिए अकादमिक और अनुसंधान, छात्र और संकाय एक्स्चेंज कार्यक्रम प्रमुख क्षेत्र होंगे। उन्होंने बताया कि शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले अधिकांश देशों के प्रतिनिधियों से नौणी विश्वविद्यालय के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और सहयोग करने के लिए उत्सुकता दिखाई गई।

विश्वविद्यालय जल्द ही अपनी विशेषज्ञता के कई क्षेत्रों में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए भारत में इन देशों के दूतावासों से संपर्क करेगा। उन्होनें कहा कि विश्वविद्यालय किसी भी विदेशी साझेदारी का स्वागत करेगा क्योंकि यह न केवल हमें अपने कौशल और विशेषज्ञता का प्रदर्शन करने का अवसर देता है बल्कि हमारे वैज्ञानिकों और छात्रों को भी वैश्विक स्तर पर कार्य करने का मौका देता है। 

डॉ कौशल ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग में एक नए युग की शुरुआत करने के लिए विश्वविद्यालय किसी भी विदेशी भागीदार की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रमाण पत्र, डिप्लोमा और डिग्री स्तर के व्यावसायिक पाठ्यक्रमों और आवश्यकता-आधारित क्षेत्र-विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों को शुरू करने का प्रयास करेगा। विश्वविद्यालय के दल ने राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए वित पोषण की संभावना पर चर्चा की। एनएसडीसी के सदस्यों का मानना ​​रहा कि बागवानी और वानिकी के विषयों को कौशल विकास उपक्रम के रूप में पेश करने के लिए प्रशिक्षक के प्रशिक्षणों के लिए सहायता प्रदान की जा सकती है।

News Archives

Latest News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *