-खतरनाक राजनीति के निशाने पर आईपीएस इल्मा: सोलन भाजपा का सरकार पर तीखा वार
DNN सोलन: भाजपा प्रवक्ता सोलन शैलेंद्र ने दावा किया है कि बीबीएन में खनन और भू माफिया पर नकेल कसने की हिम्मत करने वाली आईपीएस इल्मा अफरोज सुक्खू सरकार के नेताओं की घटिया सियासत का शिकार हो रही हैं। बीबीएन में अवैध खनन के आरोपों पर विधायक के परिवार के वाहनों के चालान काटकर कानून सबके लिए एक समान है,का बेमिसाल उदाहरण पेश करना हो या सरेराह गोलियां चलाकर कबाड़ कारोबारी को धमकाने के नाटक का पर्दाफाश करना, इल्मा ने हर चुनौती में हिमाचल पुलिस और अपनी काबलियत का सराहनीय उदाहरण दिया है। लेकिन सरकार की आड़ में गुंडागर्दी का आतंक फैलाने वाले कुछ रसूखदारों को यह रास नहीं आया। आखिर घटिया राजनीति करने वालों ने क्या ऐसा दवाब बनाया कि बद्दी की पुलिस अधीक्षक इल्मा अफरोज बुधवार रात शिमला से लौटने के बाद वीरवार को मां के साथ लंबी छुट्टी पर मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) रवाना हो गईं। मीडिया के अनुसार इल्मा सात व आठ नवंबर को राज्य सचिवालय शिमला में होने वाले दो दिवसीय सम्मेलन की तैयारियों में जुटी थीं। बुधवार को वह इसी सिलसिले में शिमला पहुंचीं थीं। इस दौरान उनकी मुलाकात सरकार के नेताओं व पुलिस विभाग के आलाधिकारियों के साथ आखिर क्या बात हुई कि पुलिस अधीक्षक रात को ही वापस बद्दी पहुंचीं और देर रात ही आवास से सारा सामान समेट लिया। यह पूरी घटना प्रदेश में चारों ओर से नाकाम सुक्खू सरकार की अनुचित कार्यशैली का उदाहरण नहीं तो ओर क्या है?
इल्मा जिसे बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन) में सराहनीय कार्यों के लिए मेडल देकर पुरस्कृत कर पीठ थपथपाई। लेकिन हुआ क्या, सुक्खू सरकार के घटिया नेताओं की घटिया राजनीति के आगे इल्मा ने इन मेडल व किताबों को धरोहर मानते हुए समेटा और साथ लेकर उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हो गईं।
शैलेंद्र ने कहा कि यह किसी से छिपा नहीं है कि इसके बाद से उनका दून के विधायक एवं मुख्य संसदीय सचिव के साथ टकराव चल रहा था।15 अगस्त को कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक के नहीं पहुंचने पर विधायक नाराज हो गए थे। उसके बाद जब उद्योग मंत्री का पुलिस अधीक्षक कार्यालय में दौरा था तो उस दौरान विधायक वहां नहीं गए।
उसके कुछ समय बाद बद्दी पुलिस ने अवैध खनन मामले में विधायक के परिवार के लोगों के वाहनों का चालान भी किया था। सीपीएस ने विधानसभा सत्र के दौरान शिमला में पत्रकारों से बातचीत में एसपी की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगाए थे। वहीं, विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया। वहीं, इल्मा के तबादले की पहले भी तैयारी थी, लेकिन नालागढ़ में यौन शोषण प्रकरण में जांच के लिए प्रदेश हाई कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट सौंपे जाने तक उन्हें बदलने पर रोक लगा रखी थी। इल्मा के नेतृत्व में पुलिस ने नशा तस्करों, खनन माफिया पर लगाम कसी थी। औद्योगिक क्षेत्र में अपराध भी कम हुए। इसके साथ ही औद्योगिक क्षेत्र के सैकड़ों वंचित वर्ग के बच्चों को एसपी कार्यालय परिसर में निश्शुल्क शिक्षा देकर उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास किया है। इल्मा अफरोज अपनी व्यस्त दिनचर्या के बीच महिलाओं से मिलती हैं और उनकी समस्याएं सुनती थी। अगर ऐसी आईपीएस के सरकार अनुचित कर रही है और इस मामले में चुप्पी साधे बैठी है, तो सुक्खू सरकार की नीयत और नीति दोनों पर भाजपा सोलन सवाल उठाती है।