– देहरा में उपचुनाव के दौरान महिला मंडलों को बिना आवेदन के मिले पचास हज़ार रुपए
— अनुपूरक बजट कुल बजट का तीस फीसदी, लोगों को मिल नहीं रहा है पैसा
DNN शिमला (Shimla) : नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मीडिया के प्रतिनिधियों से बात करते हुए कहा कि सरकार में हर जगह अराजकता है। जिसका जवाब सरकार नहीं देती है। अब सदन में सूचना मांगने के बाद भी सरकार झूठ बोल रही है। सूचना एकत्रित करने के नाम पर सरकार सदन को भी गुमराह कर रही है। चुनाव के दौरान कांगड़ा सहकारी बैंक द्वारा सिर्फ देहरा विधान सभा में महिला मंडलों को जी भर भर के पैसा दिया गया। विधान सभा सदस्य के पास अपनी सूचना दे रहे हैं तो सरकार को उस सूचना पर संज्ञान लेने के बजाय उस पैर सवाल उठाया जा रहा है। जब चुनाव प्रक्रिया चल रही थी उसी समय में एक बैंक द्वारा एक ही विधान सभा क्षेत्र के महिला मंडलों को कैसे पैसा दिया गया। क्या कांगड़ा बैंक ने अपने कार्य क्षेत्र में आने वाले अन्य जगहों पर भी इसी तरह की सुविधा प्रदान की है? क्या अन्य क्षेत्रों के लोगों को यह सुविधा दी गई। इस मामले की गंभीरता से जाँच की जानी चाहिए। यह सामान्य मामला नहीं हैं। इसकी जांच सरकार द्वारा निष्पक्षता से करवाई जानी चाहिए।
जयराम ठाकुर ने कहा कि इस तरह से पहले कभी नहीं हुआ। जो आंकड़े कंप्यूटर में है, उसे एकत्रित करने में कितना समय लगता है। हैरानी की बात तो यह है कि सरकार यह भी नहीं बता रही है कि यह आंकड़े कब तक आएँगे। क्या यह आंकड़े इतने गोपनीय हैं कि सरकार उसे विधान सभा पटल पर नहीं रख सकती है। या सरकार को इसमें किसी घोटाले का अंदाज़ा हो गया है जो अब वह सच्चाई छिपा रही है। यहाँ सारा मामला सरकार की नीयत का है। हमारी पार्टी के विधायक के पास अपने सोर्सेज से इसके बारे में जानकारी आई है। जो बहुत गंभीर है। सरकार को चाहिए कि वह इस मामले की गंभीरता से जांच करवाए। यह मामला अभी संज्ञान में आया है और यह मामला यहीं रुकने वाला नहीं है।
अनुपूरक बजट सिर्फ छलावा, कुल बजट का तीस फीसदी फिर भी लोगों का फँसा है पैसा
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बार के बजट अनुमान पूरी तरह से फेल साबित हुए हैं। यह सरकार के वित्त और योजना विभाग की सम्पूर्ण नाकामी है। ऐसा पहली बार हुआ है जब प्रदेश के सकल बजट का 30 फीसदी है। सरकार के सारे बजट अनुमान हवा हवाई साबित हुए हैं। फिस्कल प्रुडेंस और फ़ाइनेंसियल डिस्प्लेन वाली सरकार का यह हाल है। बजट अनुमान और उसकी हकीकत के बीच ज़मीन आमान का फ़र्क़ है। जबकि सरकार द्वारा लोगों के पैसे रोकने के अलावा कोई और बड़ा काम नहीं हुआ है। विधायक निधि भी नहीं दी जा रही है। इसके बाद भी बजट अनुमान इस तरह से नाकाम हुआ। प्रदेश भर में हर तरफ़ निराशा का माहौल है। सरकार लोगों को हर तरह से प्रताड़ित कर रही है। लोगों के बिल पेंडिंग है सरकार की योजनाओं के भुगतान नहीं हो रहे हैं। ट्रेजरी से बड़े भुगतान रोक रखे हैं। लोगों को दस हज़ार से बड़े भुगतान बड़ी मुश्किल से हो रहे हैं। ठेकेदार सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल रहा है। आउटसोर्स कर्मियों को मानदेय नहीं मिल रहा है। वेतन, पेंशन, सरकारी योजनाओं के लाभ लोगों को मिल नहीं रहे हैं, हिम केयर का भुगतान नहीं हो रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि सरकार का यह बजट जा कहाँ रहा है। इसका जवाब सरकार को देना होगा। यह सरकार हर लिहाज से प्रदेश का भरोसा खो चुकी है।