भाषा की अज्ञानता ने उसे घोषित कर दिया पागल, अब परिवार से मिल पायेगी पदमा

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एक महिला की दर्दभरी दास्तां जो दो साल से पागल न होते हुए भी मानसिक पुर्नवास केंद्र में रह रही है

अब परिवार से मिल पायेगी पदमा , पदमा को ले जाने के लिए कर्नाटक से पहुची शिमला टीम

DNN शिमला (रमेश वर्मा)
पिछले दो साल से शिमला के मानसिक पुनर्वास केंद्र में पागलो की तरफ जीवन गुजार रही कर्नाटका के मैसूर जिला की सरस्वती उर्फ़ पदमा परिवार के बीच जा पायेगी। पदमा की घर वापसी के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा टीम शिमला भेजी गई। इस टीम में पदमा का चचेरा भाई एक डाक्टर और कर्नाटक के सामजिक न्याय विभाग के अधिकारी शामिल थे । बुधवार को अस्पताल से पदमा को लेने के बाद ये टीम मुख्यमंत्री आवास ओक ओवर पहुची जहा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उनकी धर्मपत्नी साधना ठाकुर ने उनका स्वागत किया और साधना ठाकुर ने पदमा से कन्नड़ भाषा में बात भी की और उनके उज्वल भविष्य के लिए कामना भी की।
पदमा के घर वापसी के लिए मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी ने भी एहम भूमिका निभाई । शिमला की परफार्मेंस ग्रुप ऑफ आर्टस संस्था की अध्यक्षा डॉ सुनीला शर्मा ने ये मामला उनके ध्यान में लाया जिसके बाद डॉ साधना ठाकुर ने अस्पताल जा कर पदमा से बात की और उनके बारे में जानकारी ली जिसके बाद कर्णाटक सरकार के बात की गई और वहा की सरकार ने पदमा को वापिस ले जाने के लिए टीम शिमला भेज दी । डॉ साधना का कहना है की उन्हें जब पदमा के बारे में पता लगा तो उन्होंने अस्पताल जा कर उनसे मिलने का फैलसा किया और उन्हें उनके घर भेजने के लिए मुख्यमंत्री से बात की और आज बहुत ख़ुशी हुई की पदमा अपने परिवार से मिल रही है।
वही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा की पदमा जो दो वर्षो से अपने परिवार से दूर हिमाचल में सरकारी संरक्षण में थी और पदमा को घर वापिस भेजने को लेकर प्रयास किये। उन्होंने कहा की पदमा को घर पंहुचाने के लिए मिडिया का बहुत साथ रहा मिडिया के माध्यम से ये मामला कर्नाटक सरकार के समक्ष पंहुचा और उन्होंने पदमा को ले जाने के लिए आज टीम शिमला आई है। सीएम ने कहा की इसके आलावा भी और कई मामले ऐसे है जो सरकार के ध्यान में है। उन्हें घर वापिस भेजने के भी सरकार पर्यास कर रही है।

बता दे कन्नड़ भाषा बोलने वाली 26 साल की पदमा पिछले दो सालो से शिमला में पागल खाने में कैद थी। वो लाख कोशिश के बाद भी अपनी बात न डॉक्टर और न ही लोगो को समझा पा रही थी। पदमा ने चींख चींख कर अपना दर्द पुलिस को बताया लेकिन पुलिस ने उसे पागल समझ कर शिमला के मानसिक पुनर्वास केंद्र में छोड़ दिया, लेकिन शिमला की परफार्मेंस ग्रुप ऑफ आर्टस संस्था की अध्यक्षा डॉ सुनीला शर्मा ने पदमा का दर्द समझा और अपनी कन्नड़ भाषा जानने वाली सहेली स्वाति को पदमा के बारे में जानकारी दी। पदमा से बात करने के बाद पता चला कि वह कर्नाटक के मैसूर जिले की रहने वाली है।
पदमा ने कहा की वो कर्नाटक के मैसूर जिला के कमलापूरा गांव में जन्मी है। उसकी शादी हासिन के पालिया गांव में हुई थी । पदमा के पति ने शादी के कुछ समय बाद दूसरी शादी कर ली और पदमा को घर से निकाल दिया । उसके बाद अपनी दादी का इलाज करवाने के लिए बैगलौर आई तो सर्जरी का समान लेने जब बाज़ार गई तो उससे पैसे लुट लिए गए और उसे बेहोश कर ट्रेन में फैंक दिया गया। जहा से वो भटक कर हिमाचल पहुच गई। पदमा लोगो को जगह के बारे में पूछती रही लेकिन उसकी भाषा कोई समझ नही पा रहा था और लोग उसे पागल समझ कर बात किए बगैर निकल जाते थे वही पुलिस यहा छोड़ कर चले गई।
पदमा को घर भेजने का बीड़ा शिमला की परफार्मेंस ग्रुप ऑफ आर्टस संस्था ने उठाया। संस्था ने हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष यह मामला उठाया । सीएम जयराम ठाकुर ने पदमा की घर वापिसी के लिए हर संभव मदद करने का आश्वसन दिया वही सरकारी स्तर पर भी पर्यास हुए और अब पदमा अपने घर जा सकेगी।

 

 

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