DNN मंडी ब्यूरो
30 अक्टूबर। 2020 को हवाई अड्डों के विकास हेतु मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर द्वारा बुलाई गई अधिकारियों की बैठक में हुई चर्चा के खिलाफ बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष जोगिन्दर वालिया व सचिव नन्दलाल वर्मा ने विरोध प्रकट करते हुए कहा कि सरकार द्वारा बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डा, 2100 मीटर रनवे, केवल ATS-72 सीटर छोटा हवाई जहाज घरेलु उडान के लिए ही प्रस्तावित है और अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए 3150 मीटर हवाई पट्टी बनानी पड़ेगी जो कि ओएलएस सर्वे के अनुसार सुंदरनगर की पहाड़िया (बंदली धार) 500 मीटर काटनी पड़ेगी इन पहाड़ियों को काटना सम्भव नहीं है. और दूसरी तरफ यहाँ से भुंतर हवाई अड्डे की आकाशीय दूरी 30 किलोमीटर , शिमला हवाई अड्डा करीब 50 किलोमीटर और गगल हवाई अड्डा भी करीब 50 किलोमीटर है जब उनको अब अंतर्राष्ट्रीय हवाई स्तर का बनाया जा रहा है तो फिर क्यों बल्ह कि उपजाऊ भूमि में ही घरेलु उडान के लिए हवाई अड्डे का निर्माण किया जा रहा है।
यदि सरकार अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने की दिलचस्पी रखती हैं तथा इसके लिए कटिबद्ध है तो जाहू में बिना पहाड़ काटे कम लागत से, बिना किसानों को उजाड़े 3150 मीटर हवाई पट्टी का निर्माण किया जा सकता है। प्रस्तावित 72 सीटर हवाई जहाज के लिए मंडी जिला में ही नंदगढ़, ढांगसीधार, मौवीसेरी आदि उपयुक्त जगह है I जाहू में हवाई अड्डा बनाया जाता है तो इसका निर्माण कार्य ज्यादातर जिला मंडी में ही होगा जिसमे 80% सरकारी जमीन उपलब्ध है और यह स्थान तीन जिलों (मंडी,बिलासपुर, हमीरपुर) को जोड़ने का काम करेगा। जाहू नेरचौक से 20 किलोमीटर की दूरी पर है।
संघर्ष समिति के सचिब ने कहा कि बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डा क्षेत्र में आठ गांव सियांह, टान्वा , जरलू , कुम्मी , छात्तरू , ढाबण, भौर ,डुंगराइ के लगभग 2000 स्थानीय परिवार प्रभावित हो रहे हैं जिनकी आबादी 10000 से अधिक है और अधिकतर किसान प्रस्तावित हवाई अड्डे की वजह से भूमिहीन तथा विस्थपित हो जायेंगे और बल्ह क्षेत्र का नामोनिशान ही मिट जायेगा। बल्ह कि जनता जो नकदी फसले उगा कर जीवन चला रही है उन्हें बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ेगा पूरी तरह से तबाह हो जायेंगे । उन्होंने बड़ी हेरानी जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जो कि अपने आप में किसान है बो बल्ह के किसानो की उपजाऊ जमीन को बरबाद करने पर तुले हुए है जबकि जिला में गेर उपजाऊ जमीन में हवाई अड्डे को बनाया जा सकता है I
समिति के अध्यक्ष जोगिन्दर वालिया ने कहा कि हिमाचल सरकार अभी तक भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को लागु नहीं किया गया है और न ही पुनर्स्थापना और पुनर्निवास की कोई नीति घोषित की है। भूमि का मुआबजा केवल सर्कल रेट के अनुसार फेक्टर एक लागु करके दिया जा रहा है I बल्ह प्रस्तावित हवाई क्षेत्र में जमीन के सरकल रेट इतने कम है कि जमीन कौड़ियो के भाव जायेगी। जिला प्रशासन द्वारा घोषित सरकल रेट 1.60-6 लाख प्रति बीघा है, जबकि किसान 3 से 4 लाख प्रति बीघा नकदी फसलों से प्रति वर्ष कमा रहा है. आजीविका का इतना बड़ा स्रोत होने के नाते सरकार से मांग की जाती है कि प्रस्ताविक हवाई अड्डे को किसी दूसरी जगह बनाया जाये और इस क्षेत्र की उपजाऊ भूमि को हर हाल में बचाया जाए अन्यथा आने बाले दिनों में संघर्ष समिति जिला व राज्य स्तर पर कोई भी संघर्ष करने पर मजबूर हो जाएगी जिसकी पूरी जिमेबारी सरकार कि होगी i
जोगिन्दर वालिया
अध्यक्ष नन्द लाल वर्मा
सचिव
बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति
