DNN चंबा
16 मार्च। तितलियाँ हमारे पारिस्थितिक तंत्र ( इकोसिस्टम ) का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये प्राकृतिक भोजन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है, परागीकरण मे सहायक है, और तितलियों की संख्या सीधे तौर पर जैव विविधता की पूरक है। जितनी ज्यादा तितलियाँ हमारे आस-पास होंगी उतना ही अच्छा और मजबूत हमारा पारिस्थितिक तंत्र होगा। प्रकृति प्रेमियों के लिए तितलियाँ जीवन का आधार है, जिन्होंने धरती पर जीवन को बनाए रखने मे अपना अनमोल योगदान दिया है। तितलियों के सरंक्षण और उनकी प्रजातियों को ढूंढने के लिए जिला चंबा में वन मंडल डलहौजी के अंतर्गत आने वाले वन परिक्षेत्र भटियात में वन परीक्षेत्र अधिकारी संजीव कुमार के नेतृत्व वाली टीम ने अपनी एक नई पहल शुरू की है । वन परिक्षेत्र भटियात की सीमा के तहत लगभग 120 प्रकार की तितलियां पाई जाती हैं। जिसमें से वन परिक्षेत्र भटियात द्वारा 57 प्रजातियों की खोज कर ली है। 57 प्रजातियों के छायाचित्रों का संकलन पर परिक्षेत्र स्तर पर वन संग्रहालय बनाया गया है। जो शोधार्थियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। इनमें से डेनैड एगफलाई (danaid eggfly) तितली ऐसी है जो वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची- 1 में शामिल है। खोजी गई तितलियों के नामों का वैज्ञानिक नामकरण में तितली विशेषज्ञ लविश गरलानी की अहम भूमिका रही है। तितलियों की डॉक्यूमेंटेशन का मुख्य उद्देश्य वन संरक्षण व पर्यावरण की गुणवत्ता को दर्शाता है।
वन परिक्षेत्र अधिकारी संजीव कुमार को तितलियों के संरक्षण का विचार तमिलनाडु वन अकादमी कोयमटूर में 18 महीने के वन परीक्षेत्र अधिकारी प्रशिक्षण कोर्स के दौरान उजागर हुआ। उसके उपरांत उन्होंने जुलाई 2021 में भटियात वन परिक्षेत्र में तितलियों के संरक्षण पर कार्य करना शुरू किया। इस पहल का मुख्य उद्देश्य वनों में वन्य प्राणियों को सुरक्षित करना और लोगों को जंगलों को आग से बचाने के लिए प्रेरित करना है ताकि तितलियों जैसे अन्य जीवों को सुरक्षित रखा जा सके।
उनका कहना है कि तितलियों का पर्यावरण में पॉलिनेशन में अहम योगदान है। माना जाता है कि जहां पर तितलियां पाई जाती हैं वहां पर पारिस्थितिक तंत्र ( इकोसिस्टम ) बेहतर रहता है। तितलियां जंगली पौधों की पॉलिनेशन में भी अपनी अहम भागीदारी सुनिश्चित करती हैं, जो पौधों की प्रजातियां खत्म होने की कगार पर होती हैं उनकी पोलिनेशन में भी सहायता करती हैं।
संजीव बताते हैं कि तितली की प्रजातियों को डॉक्यूमेंट करने का एक उद्देश्य यह भी है कि लोगों को जंगलों में आग जैसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने कहा कि तितलियां जंगलों में विशेष स्थान पर रहती हैं अगर जंगलों में आग लगती है तो तितलियों के होस्ट प्लांट जहां पर वह अंडे देती हैं और खाना खाने वाली जगह अगर आग से खत्म हो जाती है तो यह प्रजाति खतरे में आ सकती है।
उन्होंने यह भी बताया कि होस्ट प्लांट वे जगह होती है जहां पर तितलियां रहती हैं और अपने अंडे देते हैं होस्ट प्लांट जंगली बेर इत्यादि रहते हैं।
तितली विशेषज्ञ लविश गरलानी कहते हैं कि वे पिछले 12 सालों से तितलियों की प्रजातियों पर कार्य कर रहे हैं। उनका मुख्य कार्य तितलियों के लारवा व होस्ट प्लांट इंटरेक्शन पर आधारित है। उन्होंने कहा कि जुलाई 2022 में सिहुंता में वाइल्ड भटियात नाम का एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई। जिसमें तितलियों की प्रजातियों की डॉक्यूमेंटेशन पर ध्यान दिया गया है। उन्होंने बताया कि अगर हिमाचल का 100 साल पुराना तितलियों पर आधारित इतिहास देखा जाए तो उसमें 430 के लगभग प्रजातियां संभावित हैं। अगर भटियात क्षेत्र की बात करें तो इस क्षेत्र में 120 से लेकर 130 तक संभावित प्रजातियां तितलियों की पाई जाने की संभावना है। भटियात में अभी तक 57 तितलियों की प्रजातियों की डॉक्यूमेंटेशन कर ली गई है जिसमें से 30 तितलियों की तस्वीरों को वन संग्रहालय में रखा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि डेनैड एगफलाई (danaid eggfly) तितली ऐसी है जो वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची- 1 में शामिल है।