DNN शिमला
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां कहा कि प्रदेश सरकार ने थ्री टेस्ला एमआरआई मशीनों की खरीद के लिए 85 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जिन्हें आईजीएमसी शिमला, टांडा चिकित्सा महाविद्यालय और नेरचौक चिकित्सा महाविद्यालय में स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि थ्री टेस्ला एमआरआई मशीन एक अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण है। इन मशीनों के स्थापित होने से सटीक और गहन विश्लेषण की आवश्यकता वाले चिकित्सा मामलों में सहायता मिलेगी तथा बीमारियों का उपचार किया जा सकेगा, जिससे मरीजों को बेहतर ईलाज की सुविधा उपलब्ध होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र के सुदृढ़ीकरण के लिए आगामी समय में प्रदेश सरकार 1500 करोड़ रुपये के निवेश से स्वास्थ्य संस्थानों को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस करेगी। वर्तमान में राज्य के 9.5 लाख लोग बेहतर उपचार सुविधा के लिए प्रदेश से बाहर का रूख करते हैं, जिससे सकल घरेलु उत्पाद की 1350 करोड़ रुपये की क्षति हो रही है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा चिकित्सा महाविद्यालयों के साथ सभी स्वास्थ्य संस्थानों में उन्नत चिकित्सा उपकरण स्थापित करने की दिशा में प्राथमिकता से कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को सेमी ऑटोमेटिक लेबोरेटरीज, अल्ट्रासाउंड मशीनों और आईसीयू सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। इसके साथ सभी सिविल और जोनल अस्पतालों में पूरी तरह से स्वचालित ऑटो ऐनेलाईजर, डिजिटल एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड मशीनें और मॉड्यूलर ऑपरेशन थियेटर शीघ्र ही स्थापित किए जाएंगे। इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग ने कार्य करना शुरू कर दिया है, इनहाउस लैब की सुविधा से मरीजों को बेहतर उपचार मिलेगा और डॉक्टर उनके रोग का निदान कर सकेंगे।
स्वास्थ्य सेवाओं को हाशियें पर रखने के लिए पिछली भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे प्रदेश में स्वास्थ्य प्रणाली पर बुरा असर पड़ा और सरकारी स्वास्थ्य संस्थान रेफरल अस्पताल बन गए। उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण लोगों की मेहनत की कमाई और बहुमूल्य समय की बर्बादी हुई। इसके विपरीत कांग्रेस सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रमुखता से कार्य कर रही है और लोगों को शीघ्र ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।
काजा में दो मेगावाट का सोलर पावर प्लांट स्थापितः मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां कहा कि जनजातीय क्षेत्र काजा में बिजली व्यवस्था को सुनिश्चित और सुचारू बनाने के लिए दो मेगावाट का सोलर पावर प्लांट स्थापित किया गया है जिसके लिए बिजली बोर्ड के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने युद्धस्तर पर कार्य किया है। उन्होंने कहा कि कुछ ही महीनों में एक एम.डब्ल्यू.एच. बैटरी स्टोरेज को भी इसमें जोड़कर प्लांट को पूर्ण रूप से स्थापित कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य को ‘ग्रीन स्टेट’ बनाने के लिए सोलर पावर का अधिक से अधिक दोहन करने का प्रयास कर रही है तथा मांग के आधार पर अलग-अलग क्षेत्रों में ई.वी. चार्जिंग स्टेशन स्थापित किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने बिजली बोर्ड के कार्यालयों के आस-पास की खाली जमीन पर 18 मेगावाट की ग्राऊंड मांउटिड तथा रूफ टॉप सोलर प्लांट लगाने को मंजूरी प्रदान की है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा वर्ष 2026-27 तक प्रदेश में 50,000 उपभोक्ताओं के घरों पर रूफ टॉप सोलर प्लांट लगाने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए अभी तक 4444 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खर्चों को नियंत्रित किया जा रहा है, जिसके तहत विद्युत सब्सिडी और स्टाफ का युक्तिकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य से बिजली बोर्ड द्वारा किए गए विद्युत परियोजना समझौतों की समीक्षा की जा रही है तथा बोर्ड द्वारा उच्च दरों पर लिए गए ऋणों की भी समीक्षा की जाएगी ताकि कम ब्याज दरों पर ऋण भुगतान किया जा सके और हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड को ऋण के बोझ से निकालकर आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए वचनबद्ध है तथा सरकार द्वारा उन्हें समय-समय पर वित्तीय लाभ भी प्रदान किए जा रहे हैं।