DNN कसौली (सोलन) ब्यूरो (आदित्य सोफत)
25 फरवरी। प्रदेश के कसौली में इन दिनों कोविड वायरस रोकने के लिए कोविड एंटी सीरम बनाने पर कार्य किया जा रहा है। इस सीरम के तीन बैच तैयार हुए है। यह बैच ट्रायल के लिए तैयार किए गए है। इन ट्रायल बैच को फीलिंग कर लाइव वायरस की न्यूट्रलाइजेशन के लिए एनआइवी पुणे भेजा जा रहा है। वहां लाइव वायरस के साथ ट्रायल बैच की टैस्टिंग प्रक्रिया होगी। इन प्रक्रियाओं के बाद ट्रायल बैच दिया जाएगा आइसीएमआर को
इनके सफल होने के बाद बैच पर प्री-क्लिनिकल एनिमल टेस्टिंग जिसे टॉक्सीक्लोजिकल स्टडीज भी कहते है की प्रक्रिया होगी। इसमें एनिमल पर हाई डोज देकर टेस्टिंग की जाएगी। दोनों की सफलता के बाद सीआरआई डीसीजीआइ को अप्रोच किया जाएगा। इन सभी प्रक्रियाओं से गुजरने के पश्चात क्लिनिकल ट्रायल के लिए बैच आइसीएमआर को दिया जाएगा। यह प्रोडक्ट आइसीएमआर के लिए बनाया जा रहा है, इसलिए इसको आइसीएमआर-सीआरआई कोविड एंटी सीरम नाम दिया गया है। क्लिनिकल ट्रायल के पास होने के बाद संस्थान की प्रोडक्शन में एक और नया उत्पाद शामिल हो जाएगा।कसौली में कई प्रकार की एंटी सीरम होती है तैयार
गौरतलब है कि सीआरआई कसौली को कई तरह की एंटी सीरम बनाने के लिए जाना जाता है। संस्थान एंटी रैबीज सीरम, एंटी स्नेक वेनम सीरम व डिप्थीरिया एंटी टॉक्सिन सीरम तैयार करता है।
कोरोना के गंभीर रोगियों को लगेगा सीरम
कोविड एंटी सीरम कोरोना के उन रोगियों को लगेगा जो अस्पताल में गंभीरावस्था में भर्ती होंगे। यह कोरोना वैक्सीन की तरह हर किसी को नही दिया जाएगा। कोविड एंटी सीरम बनाने के लिए सीआरआइ व इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआइवी) पुणे के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) हुआ है। सीआरआई कसौली ने तीन ट्रायल बैच बनाकर तैयार कर लिए है, बैंचों की फीलिंग के बाद एनआइवी पुणे भेजा जाएगा।एटी सीरम वायरस को सीधे करता है खत्म
संस्थान के एंटी सीरा सेक्शन में घोड़ों से खून लेकर एंटी सीरम के टीकों को विकसित किया जाता है। एंटी सीरम एक रक्त सीरम है, जिसमें एक वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी होते हैं, जो संक्रमण को रोकने या इलाज करने के लिए इंजेक्ट किया जाते हैं। सांप व कुत्तों के काटने पर वैक्सीन लगाने से पहले एंटी स्नेक वेनम सीरम व एंटी रैबीज सीरम के टीके लगाए जाते हैं। एंटी सीरम सीधे शरीर में जाकर रैबीज के वायरस को खत्म करना शुरू कर देती है। इसमें ज्यादा समय नहीं लगता, जबकि वैक्सीन शरीर में जाकर पहले एंटीबॉडी तैयार करती है।