NAUNI UNIVERSITY में नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधकों की बैठक

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राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के जिला विकास प्रबंधकों की बैठक आज डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में आयोजित की गई। इस बैठक का आयोजन नाबार्ड के पंजाब क्षेत्रीय कार्यालय ने विश्वविद्यालय के साथ मिलकर किया। पंजाब के 25 जिला विकास प्रबंधकों ने इस बैठक में भाग लिया और विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से अपने राज्य में बागवानी की संभावनाओं के बारे में जाना और चर्चा की। नाबार्ड की इस बैठक का उद्देश्य अपने अधिकारियों को बागवानी और संबद्ध विषयों में तकनीकी प्रगति और आपार अवसरों को उजागर करना था ताकि वे किसानों के लिए इनसे जुड़ी योजनाओं को बढ़ावा दे सकें। दो दिनों की इस बैठक के दौरान, विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक विभिन्न विषयों पर प्रतिभागियों को संबोधित करेंगे और उन्हें विवि द्वारा की जा रही विभिन्न गतिविधियों से अवगत कराएंगे।

     नौणी विवि के कुलपति डॉ॰ एच॰सी॰ शर्मा, विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ विजय विजय ठाकुर, पंजाब में नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक जेपीएस बिंद्रा और डीजीएम मिथलेश्वर झा के अलावा संयुक्त निदेशक (संचार) डॉ राजकुमार ठाकुर और संयुक्त निदेशक (प्रशिक्षण) डॉ मायचंद व अन्य वैज्ञानिकों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर जेपीएस बिंद्रा ने नाबार्ड की कार्यप्रणाली और जमीनी स्तर पर किए जा रहे कार्यों में जिला विकास प्रबंधकों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया। कृषि के विविधीकरण की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब में बागवानी और वानिकी गतिविधियों के तहत काफी कम क्षेत्र आता है। विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ॰ विजय सिंह ठाकुर ने कृषि के उत्थान और ढांचागत विकास में नाबार्ड द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की। डॉ॰ ठाकुर ने कहा कि उत्पादकता के साथ साथ अच्छी गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थों के उत्पादन पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है।

      कृषि को विशेषकर युवाओं के बीच एक सम्मानजनक व्यवसाय बनाने का आह्वान करते हुए डॉ॰ एचसी शर्मा ने किसानों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सवेन और प्रसंस्करण के लिए कृषि उपज के नियोजित उपयोग के लिए नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बैंक को अपने अधिकारियों के माध्यम से अतिरिक्त खाद्य उत्पादन के सौर ऊर्जा से सुखाने जैसी सरल हस्तक्षेप और निर्यात गुणवत्ता वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। डॉ॰ शर्मा ने कहा कि जल संरक्षण के तरीकों को बढ़ावा देने के साथ साथ आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकियों के माध्यम से जल उपयोग दक्षता को बढ़ाने के लिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। बैठक के भाग ले रहे प्रतिभागियों ने हाई-टेक फ्लोरीकल्चर, प्राकृतिक खेती और मधुमक्खी पालन पर तकनीकी व्याख्यान में भाग लिया और विश्वविद्यालय द्वारा इन क्षेत्रों में किए जा रहे कार्यों के बारे में जाना।

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