DNN कुल्लू
22 फरवरी। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कुल्लू द्वारा जिला परिषद सभागार में हिमालयन रेंज में विद्यमान ग्लेशियल झीलों के फटने से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए तैयारियों पर समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी एस.के. पराशर ने बैठक की अध्यक्षता की। विभिन्न विभागाध्यक्षों के अलावा जिला में आपदा प्रबंधन से जुड़ी गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
एस.के. पराशर ने कहा कि हर वो घटना आपदा है जब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है। उन्होंने कहा कि किसी क्षेत्र विशेष में आपदा घटित होने पर तुरंत कम्युनिकेशन तथा रिस्पांस नितांत आवश्यक है। इसमें स्थानीय लोग प्रथम प्रतिक्रिया के तौर पर अपनी भूमिका निभाकर नुकसान को कम करने में मददगार होते हैं। इसलिए जरूरी है कि स्थानीय तौर पर युवाओं को आपदाओं से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि जिला में ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधन समितियों का गठन किया गया है और समय-समय पर प्राधिकरण की ओर से इन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
उन्होंने कहा कि अनेक स्वयं सेवी संस्थाएं आपदा प्रबंधन से जुड़ी हैं और समय-समय पर इन्होंने अपना योगदान करके बहुमूल्य जिंदगियां बचाई हैं और आपदाओं के दौरान नुकसान को कम करने में मदद की है। उन्होंने कहा कि कोई न कोई आपदा घटित होना स्वाभाविक है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन सभी स्तरों पर हर समय तत्पर रहना भी जरूरी है।
गोताखोरों की उपलब्धता है जरूरी
लिटल रिबेल सर्च एण्ड रेस्क्यू पार्वती घाटी के अध्यक्ष शिव राम ने कहा मनिकर्ण घाटी की पार्वती नदी मानव हादसों की दृष्टि से काफी संवेदनशील है और आए दिन यहां कोई न कोई जान चली जाती है। उन्होंने घाटी में गोताखोरों की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि गोताखोरों के लिए समुचित प्रशिक्षण की व्यवस्था तथा उपकरणों की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। इसके अलावा, सैलानियों को नदी के समीप जाने से रोकने के लिए भी कोई ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
घाटी में हैं अनकों टूअर आप्रेटर एसोसियेशन के चेयरमैन विशाल ठाकुर ने कहा कि घाटी में अनेकों ग्लेशियर प्वांइट है और इनके नीचे अनेक जगहों पर झीलों की मौजूदगी है। घेपन घाट झील में काफी हलचल है और उत्तराखण्ड के चमोली जैसे हादसे की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
कार्बन इफैक्ट को कम करने के हों प्रयास
नेचर एण्ड लाईफ एसोसियेशन के अध्यक्ष प्रेम मंहत तथा लायुल वैलफेयर एसोसियेशन के चेयरमैन शेर सिंह यांबा ने कहा कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि विकास और विनाश साथ-साथ चलते हैं। विकास को रोका नहीं जा सकता। अत्यधिक धूल, धूंए के कण हिमालयन ग्लेशियरों पर सैटल हो रहे हैं जिससे इनका रंग काला पड़ रहा है और ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार निरंतर बढ़ रही है। उन्होंने पर्यावरण में कार्बन के प्रभाव में कमी लाने का सुझाव दिया।
बैठक की कार्यवाही का संचालन जिला आपदा प्रबंधन के प्रभारी प्रशांत ने किया। उन्होंने सभी स्वयं सेवी संस्थाओं से सदस्यों की अद्यतन सूची सांझा करने को कहा। उन्होंने कहा कि सदस्यों को आपदा प्रबंधन से जुड़े कार्यकलापों का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
अटल बिहारी पर्वतारोहण संस्थान से लुदर सिंह, जिला युवा अधिकारी सोनिका चन्द्रा, जिला राजस्व अधिकारी मनोज कुमार के अलावा गैर सरकारी संस्थाओं से सोम देव शर्मा, बीजू, तेज सिंह, जय सिंह, हितेश्वर सिंह, बेली राम, खेख राम, चुनी लाल, चमन लाल, डाॅ. आर.के. शर्मा, छापे राम, डाॅ. राम सिंह, निशा कुमारी व लाल चंद बैठक में उपस्थित रहे।