CONGRESS पर्यवेक्षक की रिपोर्ट दरकिनार तभी शुरू हुई यह WAR

Politics Shimla

DNN शिमला
कसौली कांग्रेस अध्यक्ष पद पर छिड़ी जंग के बाद सामने आ रहे तथ्य यह साफ कर रहे हैं कि कांग्रेस प्रदेश हाईकमान अपने चहेतों को कुर्सी पर बिठाने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट को दरकिनार कर रहा है। हाल ही में हुई कसौली ब्लॉक अध्यक्ष की ताजपोशी के विरोध में कांग्रेस महासचिव विनोद सुल्तानपुरी द्वारा दिए गए इस्तीफे के बाद मामले में नए खुलासे होने लगे हैं। कसौली ब्लॉक कांग्रेस की नियुक्ति के लिए तैनात किए गए पर्यवेक्षक अमित मेहता द्वारा इस्तीफा देना और उनके द्वारा हाईकमान को भेजी गई रिपोर्ट को दरकिनार करके अपने चहेते की ताजपोशी के आरोपों के बाद हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के आला नेताओं की कार्यप्रणाली अपने आप ही घेरे में आ गई है। अमित मेहता द्वारा गंभीर आरोप लगाकर इस्तीफा देने ने साफ कर दिया है कि प्रदेश में कांग्रेस ने हार के बाद भी कोई सबक नहीं लिया है। जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़े कार्यकर्ताओं को नेतृत्व देने के बजाय कांग्रेस में पैराशूटी नेताओं को तवज्जो देने की परंपरा हार के बाद भी खत्म नहीं हुई है। वहीं दूसरी ओर इस मामले में कांग्रेसी नेताओं द्वारा विनोद सुल्तानपुरी कि की गई घेराबंदी व उन्हें पार्टी से बर्खास्त करने के मामले को लेकर भी चर्चाएं गर्म हैं। अहम बात यह भी है कि पिछले करीब 3 महीने में देश व प्रदेश में जनता से जुड़े विभिन्न मामलों में कांग्रेस का एक भी नेता कम से कम सोलन में मीडिया के समक्ष कोई बयान देने नहीं आया है। जबकि पार्टी के अंदरूनी मामले यानी विनोद सुल्तानपुरी को पार्टी से बर्खास्त करने को लेकर कांग्रेसियों की बड़ी फौज एकाएक सोलन पहुंच गई और मीडिया के समक्ष रूबरू होकर इन नेताओं ने अपनी पार्टी के नेता विनोद सुल्तानपुरी के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजा डाला। जबकि पत्रकार वार्ता में पत्रकारों ने कांग्रेसियों से यह सवाल किया कि कांग्रेस जन हित के मुद्दों पर इस प्रकार की पत्रकार वार्ता क्यों नहीं करती है तो इस सवाल का जवाब देने के बजाय कांग्रेसी इधर-उधर की बातें करके मामला दबाने के चक्कर में जुटे रहे।

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