DNN सोलन
8 सितंबर। छह विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों और आईसीएआर संस्थानों के 20 वैज्ञानिकों डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान और प्रशिक्षण स्टेशन, मशोबरा का दौरा किया और सेब में सफल प्राकृतिक खेती परीक्षणों के बारे में जाना।
यह दौरा विश्वविद्यालय द्वारा प्राकृतिक खेती पर आयोजित दो सप्ताह के राष्ट्रीय प्रशिक्षण का हिस्सा था। इस कार्यक्रम को आईसीएआर राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना की संस्थागत योजना (एनएएचईपी आईडीपी) द्वारा समर्थित किया जा रहा है। हरियाणा, पंजाब, जम्मू और कश्मीर और हिमाचल के वैज्ञानिक प्रशिक्षण में भाग ले रहे हैं।
यह दौरा सेब की खेती के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित प्राकृतिक खेती मॉडल को प्रदर्शित करने के लिए किया गया। डॉ. उषा शर्मा ने विश्वविद्यालय द्वारा प्राकृतिक खेती के तहत सेब पर किये गये विभिन्न सफल परीक्षणों पर विस्तृत प्रस्तुति दी। प्राकृतिक खेती सेब प्रदर्शन बगीचे का एक भ्रमण भी आयोजित किया गया। विभिन्न सब्जियों जैसे गोभी, बीन और जंगली गेंदा आदि के बारे में समझाया गया, जो इस पर्यावरणीय कृषि पद्धति के तहत बहुस्तरीय फसल प्रणाली के तहत लगाए गए थे। परीक्षण के नतीजे प्रशिक्षुओं के साथ भी साझा किये गये। केंद्र के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. दिनेश ठाकुर ने भी प्रशिक्षुओं से बातचीत की और उन्हें स्टेशन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। इस अवसर पर प्रशिक्षुओं के साथ विश्वविद्यालय की प्राकृतिक कृषि टीम के सदस्य डॉ.कुलदीप ठाकुर भी उपस्थित रहे।
गांव धगोगी में किसानों के खेतों का दौरा भी किया गया, जहां मोहन वर्मा, खिमी देवी और कपिल वर्मा ने सेब के साथ-साथ अपनी आय बढ़ाने के लिए उनके द्वारा उगाई जाने वाली शिमला मिर्च, बीन, भिंडी और खीरा जैसी अतिरिक्त फसलों के लिए अपने प्राकृतिक खेती मॉडल दिखाए। किसानों ने प्रतिभागियों के साथ अपने अनुभव साझा किए और उन्हें बताया कि कैसे प्राकृतिक खेती को अपनाने से उन्हें अपनी आय में सुधार करने में मदद मिली है।














