विश्व बहरापन दिवस पर बच्चों को दी अहम जानकारी

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DNN बिलासपुर

03 मार्च विश्व बहरापन दिवस का आयोजन स्वामी विवेकानन्द मॉडल हाई स्कूल गेहड़वीं मे कोविड नियमो का पालन करते हुए आयोजित किया गया।कार्यक्रम में स्वास्थ्य शिक्षक कमल कुमार ने बच्चों को संबोधित करते हुए बताया कि जब कोई व्यक्ति बोलता है तो वह ध्वनि तरंगों के द्वारा हवा में एक कंपन पैदा करता है। यह कंपन कान के पर्दे एवं सुनने से संबधित तीन हडिडयों मेलियस, इन्कस व स्टेपीज के माध्यम से आंतरिक कान में पहुंचता है और सुनने की नस द्वारा आंतरिक कान से संप्रेषित होता है। इस कारण तरंगों में अवरोध पैदा हो जाए, तो वह बहरापन कहलाता है। उन्होंने बताया कि यदि अधिक जोर से बोलने पर भी अगर किसी को सुनने के लिए संघर्ष करना पडे, तो उसे सुनने की समस्या हो सकती है। यह बहुत हल्के से शुरू होती है, लेकिन धीरे-धीरे बहरेपन जैसी गंभीर समस्या में बदल जाती है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बहरापन रोकथाम कार्यक्रम का उद्देश्य बहरेपन के निदान और उपचार में जनता की भागीदारी को बढावा देना है। उन्होंने बताया कि मोटरसाइकिल चलाना, मिक्सर, वैक्यूम क्लीनर, पावर ड्रिल्स, अत्यधिक मोबाइल का इस्तेमाल, लाउडस्पीकर, कर्कश संगीत, रेडियो-टीवी की तेज आवाज, पटाखे फोड़ना, बसों-मोटरों के प्रेशर हॉर्न का शोर हमें बहरेपन की तरफ धकेलता है। इन तमाम वस्तुओं से 74 से 116 डेसिबल रेंज की ध्वनि उत्पन्न होती है, जबकि सुरक्षित ध्वनि सीमा 80 डेसिबल है। अगर काम या मनोरंजन में लंबे समय तक हम शोर या तेज ध्वनि के संपर्क में रहते हैं, तो श्रवण रोग हो सकते हैं।
डाॅ. अखिलेश गौतम ने कहा कि जहां ज्यादा शोर की संभावना हो वहां ईयर प्लग या ईयर मफस का इस्तेमाल करना जरूरी है। कानों को तेज शोर से बचाए और गंदा पानी ना जाने दे। बचपन की बीमारियां जैसे खसरा, कनफेड, मस्तिष्क ज्वर (मेनिनजाइटिस), दुर्घटना आदि भी बहरेपन को न्योता देती है। उन्होंने बताया कि कान में रिसाव, कम सुनाई देने, चोट लगने पर तुरंत नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें। कान में किसी प्रकार का तरल पदार्थ या तेल न डालें। यदि कोई बच्चा कक्षा में अनुमान रहता है या पढाई में ध्यान नहीं देता तो हो सकता है, उसे कम सुनाई दे। बिना डॉक्टरी सलाह गर्भावस्था में दवाई न लें। कान से खून या बदबू आना गंभीर रोग के लक्षण हैं। अतः सतर्क रहें। यदि व्यक्ति को आवाज धीमी सुनाई दे या कुछ विशेष तरह के शब्दों को समझने में कठिनाई हो तो तुरंत अस्पताल जाएं। अस्पताल में शारीरिक जांच, सामान्य स्क्रीनिंग, मेल हटाकर या ऑडियोमीटर परीक्षण द्वारा पता करके तुरंत इलाज हो सकता है। इससे भविष्य में होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकता है। अगर अचानक सुनाई देना बंद हो जाए, तो भी तुरंत अस्पताल में जाने की जरूरत है, क्योंकि ऑपरेशन या हियरिंग एंड (श्रवण यंत्र) से जीवन को सुगम बनाया जा सकता है।इस कार्यक्रम में स्कूली बच्चों से भाषण व पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन करवाया गया और प्रतिभागियों को नगद राशि वितरित की गई। भाषण में पहले स्थान पर कृतिका, दूसरे स्थान पर सिया और तीसरे स्थान पर साक्षी रही, पेंटिंग मे मानसी प्रथम, दूसरे स्थान पर अंशिका और तीसरे स्थान पर कशिक रही।
कार्यक्रम मे डॉ अखिलेश गौतम, डॉ शालिनी, स्वास्थ्य कार्यकर्ता रीना देवी, लीला देवी, चंचला देवी, स्कूल प्रधानाचार्य नीरज चंदेल, आशा सामाजिक कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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