282 साल पुराने मियां मंदिर की अनदेखी पर लोग हुए लामबंद, परिसर में दिया धरना

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DNN नाहन (अब्दुल)

13 फरवरी। 1621 में बसे ऐतिहासिक शहर नाहन में स्थित प्राचीन भगवान परशुराम मंदिर जिसे मियां मंदिर के नाम से जाना जाता है, की लंबे अरसे से अनदेखी को लेकर अब लोग लामबंद हो गए है और मंदिर के जीर्णोद्धार को लेकर प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। रविवार को हिंदू जागरण मंच के बैनर तले स्थानीय लोगों ने मंदिर परिसर में सांकेतिक धरना देकर यह संकेत दे दिए हैं कि अब मंदिर की अनदेखी को किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।दरअसल सन 1740 में राजा बिलासपुर के भाई मियां बलदेव सिंह और मियां कुशल देव सिंह ने मंदिर का निर्माण करवाया था, जोकि भगवान श्री परशुराम जी को समर्पित है।वर्तमान में इस मंदिर की हालत बेहद ही दयनीय हो चुकी है। एक और जहां मंदिर का बड़ा हिस्सा धंस रहा है, तो वही मंदिर की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें तक पड़ चुकी है। लंबे अरसे से स्थानीय लोग इसके जीर्णोद्धार की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक कुछ नहीं बना। ऐसे में अब लोग मंदिर के जीर्णोद्धार को लेकर लामबंद हो गए है। वही हिंदू जागरण मंच ने स्पष्ट किया कि यदि जल्द मंदिर का जीर्णोद्धार नहीं किया गया, तो आंदोलन को ओर तेज किया जाएगा।मीडिया से बात करते हुए हिंदू जागरण मंच के उपरांत सचिव मानव शर्मा ने प्रशासन पर इस मंदिर की लंबे अरसे से अनदेखी करने के आरोप लगाए। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि जब बड़े धार्मिक स्थलों की राशि अन्य विकास कार्यो पर खर्च की जा सकती है, तो इस मंदिर पर क्यों नहीं की जा सकती? उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि जल्द प्रशासन ने इस मंदिर के रखरखाव को लेकर कार्यवाही नहीं की, तो आंदोलन को उग्र किया जाएगा। मानव शर्मा, प्रांत सचिव, हिंदू जागरण मंचवहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि मियां मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है, जोकि शहर में दूर-दूर से दिखाई देता है। अब इस मंदिर की हालत बेहद खस्ताहाल हो चुकी है। प्रशासन से मांग है कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार कर इसे एक रमणीक स्थल के रूप में विकसित किया जाए। नीरज कुमार, स्थानीय निवासी दूसरी तरफ मंदिर की लंबे अरसे से दुर्दशा के मामले में मुस्लिम समुदाय ने भी अपनी नाराजगी प्रकट की है। स्थानीय निवासी मोहम्मद असलम सैयद ने कहा कि मंदिर के जीर्णोद्धार को लेकर वह लोग कहीं बाहर प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अब तक कुछ नहीं बना। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि या तो प्रशासन स्वयं इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाएं या फिर इसे स्थानीय लोगों के सुपुर्द किया जाए, ताकि मंदिर का रखरखाव किया जा सके। मोहम्मद असलम सैयद, स्थानीय निवासी कुल मिलाकर एक लंबे अरसे से यह मंदिर अपनी बदहाली के आंसू रो रहा है, लेकिन आप लोग इस की खस्ताहाली को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। लिहाजा अब मंदिर के जीर्णोद्धार को लेकर लोग प्रशासन से आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है।

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