ज़िला के ‘ज्ञान केन्द्र’ युवाओं के लिये, स्वअध्य्यन एवं प्रतियोगिता की तैयारियों के लिए वरदान

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DNN कुल्लू 

15 फरवरी कुल्लू जिला की ग्राम पंचायतों में ‘ज्ञान केन्द्रों’ की अवधारणा की पहल के पीछे अनेक कारक सहायक बने हैं। कोविड-19 के दौर में समाज में तमाम व्यवस्थाएं प्रभावित हुई हैं। शिक्षा से लेकर कार्यालय कार्यों के निष्पादन तक अधिकांश गतिविधियों को ऑन-लाइन बनाने के कारण विद्यार्थियों को अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। गांव के कुछ लोग अपने बच्चों के लिये अच्छे मोबाइल फोन खरीदने में असमर्थ थे और यदि जैसे-तैसे मोबाइल की व्यवस्था हो भी गई तो इंटरनेट का अच्छा पैकेज बच्चों को उपलब्ध नहीं करवा पाए। यही परिस्थितियां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं को भी झेलनी पड़ी। शहर में पुस्तकालय बंद पड़े थे या फिर गांव के सभी युवक अध्ययन के लिये शहरों में नहीं जा पाते।
जिलाधीश आशुतोष गर्ग के ज़हन में काफी अरसे से ऐसा विचार चल रहा था कि किस प्रकार युवाओं को उनके घर-द्वार के समीप चौबीस घण्टे बारहमासी इंटरनेट सुविधा से लैस ऐसे पुस्तकालय की स्थापना की जाए जहां पर प्रतियोगी परीक्षाओं सहित सभी आयुवर्ग के लोगों की रूचि की पुस्तकें उपलब्ध हों। शिक्षार्थियों को अध्ययन के लिये एक ऐसा वातावरण तैयार हो जहां वे वाई-फाई के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाओं से सुगमतापूर्वक जुड़ सके। गरीब छात्रों के लिये सुगम व निःशुल्क पाठन सामग्री की उपलब्धता हो। इसके अतिरिक्त, युवाओं को नशे जैसी सामाजिक बुराईयों से दूर रखने तथा उनमें पढ़ने की आदत को विकसित करना भी उनकी सोच रही है। अंततः व्यापक अध्ययन और सर्वेक्षण के उपरांत उन्होंने जिला में पंचायत स्तर पर पुस्तकालय की स्थापना की पहल करके कुल्लू को प्रदेश का पहला जिला बनने का गौरव प्रदान किया।उनकी यह अद्वितीय पहल ज़िले के दूरस्थ लोगों के लिए एक सुनहरे भविष्य के निर्माण के लिए कारगर साबित हो रही है।
एक वर्ष पूर्व ज्ञान केन्द्र के शुभारंभ के साथ शुरुआत में विकास खण्ड नग्गर की 11 पंचायतों में  ज्ञान केन्द्रों में  ग्राम पंचायत पांगन, बरूआ, नसोगी, विशिष्ट तथा करालस, कुल्लू विकास खण्ड की पंचायत बनोगी, जिंदौड़ तथा जलूग्रां तथा बंजार विकास खण्ड की सुचैण व दुशाहड़ ग्राम पंचायतें शामिल थी जहां पर एक साथ ज्ञान केन्द्र स्थापित करवाए गए थे। इन केंद्रों की सफ़लता को देखते हुए इन्हें ज़िले के अन्य पंचायतों में भी बढ़ाया गया।
उपायुक्त आशुतोष गर्ग का कहना है कि पंचायत स्तर पर पुस्तकालय स्थापित करने की यह मुहिम पिछले
एक वर्ष से  चल रही है  जिसमें निरमण्ड का ब्रो,  बजौरा की हाट, तथा गाहर के ज्ञान केंद्र इस मुहिम की सफलता का उदाहरण हैं। एक वर्ष की अवधि में जिला में अभी तक कुल 35  ज्ञान केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है।  हमारा लक्ष्य है कि पंचायत प्रधानों के सहयोग से चरणबद्ध ढंग से जिला की सभी 235 ग्राम पंचायतों में ज्ञान केन्द्रों की स्थापना की  जाए ताकि पढ़ाई के लिए दूरदराज के बच्चों को न तो अधिक दूर का सफ़र करना पड़े और न ही पुस्तकों, शिक्षण सामग्री और इंटरनेट जैसी सुविधाओं का अभाव झेलना पड़े।

  क्या हैं ज्ञान केन्द्रों में मूलभूत आवश्यकताएं
उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने बताया कि जिला में भूमि की अनुपलब्धता के कारण ज्ञान केन्द्र की स्थापना के लिये किसी नये निर्माण की जरूरत को महत्व नहीं दिया जा सकता। इसके लिये ग्राम पंचायतों में महिला मंडल भवन, युवक मण्डल भवन, ग्राम पंचायत भवन अथवा कोई सार्वजनिक भवन अथवा बंद स्कूल का भवन या फिर स्कूल भवन का अतिरिक्त कमरा जो अनुपयोगी पड़ा हो, इसको इस्तेमाल में लाया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से अपने मकान में अतिरिक्त कमरा उपलब्ध करवा सकता है। इसके लिये किराया न लेने तथा सहूलियत के अनुसार एक निश्चित समयावधि के लिये बिना किराये के आधार पर अनुबंध किया जा सकता है जब तक ग्राम पंचायत कमरे की व्यवस्था नहीं कर देती। ग्राम पंचायत ज्ञान केन्द्र के लिये मौजूदा पंचायत भवन में चक्रवात आश्रय, मनरेगा अथवा 14वें/15 वित्तायेग के अंतर्गत राजीव गांधी सेवा केन्द्र के तौर पर कमरे का निर्माण कर सकती है।

कैसी रहती हैं व्यवस्थाएं
ज्ञान केन्द्रों में चैबीस घण्टे बिजली की सुचारू आपूर्ति तथा विद्यार्थियों के लिये पर्याप्त चार्जिंग प्वांईट उपलब्ध करवाने की व्यवस्था संबंधित ग्राम पंचायत अपनी निधि से करेगी। भविष्य में सौर पैनेल की संभावना को भी तलाशा जाएगा। बिजली का बिल वित्तयोग अथवा दान में से वहन किया जाएगा।
प्रत्येक केन्द्र में 10 से 40 लोगों के लिये बैठने की समुचित व्यवस्था होना जरूरी है, जिसके लिये तीन टेबल, 10 कुर्सियां तथा एक या दो अल्मारियां उपलब्ध करवाना जरूरी है। ये सभी साधन ग्राम पंचायत, पंचायत समिति अथवा जिला परिषद की 15वें वित्तायोग निधि अथवा दान से सृजित की जाएंगी।
इंटरनेट कनेक्टिविटी ज्ञान केन्द्र की आत्मा व सर्वाधिक मूलभूत आवश्यकता है। केन्द्र में वाई-फाई सहित अच्छी ब्राॅडबैण्ड कनेक्टिविटी हो जरूरी बनाया गया है ताकि विद्यार्थी ऑनलाइन कक्षाओं के लिये सर्वाधिक सुरक्षित स्थान महसूस कर सके। इंटरनेट सुविधा पर हर महीने दो हजार से तीन हजार रुपये तक का खर्च आएगा जिसे अन्य संसाधनों के साथ उपयोगकर्ताओं से सदस्यता के तौर पर भी एकत्र किया जा सकता है।
ज्ञान केन्द्र को लेकर क्या है लोगों की प्रतिक्रिया
ग्राम पंचायत हाट में ज्ञान केन्द्र में तैयारियां कर रहे
अयांश – ने कहा कि वे स्वयं भी यूपीएससी की तैयारियों के साथ साथ अटल ज्ञान केन्द्र का संचालन भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां स्थापित ज्ञान केंद्र सरकार में लोग दूर दराज़ के क्षेत्रों से अध्ययन करने के लिए आते हैं जोकि प्रशासनिक इंजीनियरिंग नीट सहित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिए इस सुविधा का लाभ उठा रहे हैं।
यह ज्ञान केंद्र 24 घंटे उनके लिए खुला रहता है यहां पर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की नवीनतम पुस्तकों के साथ नेशनल बुक ट्रस्ट की पुस्तकों के अलावा विभिन्न प्रकार की उच्च स्तरीय पाठ्य सामग्री उपलब्ध है इसके अतिरिक्त यहां पर इंटरनेट की सुविधा भी उपलब्ध है जिसके लिए वाईफाई सहित कंप्यूटर भी यहां लगाए गए हैं उन्होंने कहा कि इस ज्ञान केंद्र डिजिटल रूप से संचालन करने की पहल की गई है यहां आने वाले लोगों की हाजरी भी क्यूआर कोड के जरिए लगती है तथा इसी के माध्यम से एक डिजिटल डिसकशन का एक प्लेटफॉर्म भी लिंक किया गया है।
यहां पर  गड़सा, हुरला, बजौरा, सहित मंडी ज़िला के पनारसा, नगवाईं आदि क्षेत्रों के बच्चे पढ़ाई करने को आते हैं, यहां  कॉफ़ी एवं स्नेक्स की भी व्यवस्था है ताकि बेहतर तरीक़े से पढ़ाई कर सकें।
यहां से तैयारी कर के हाल ही में चार पांच बच्चे पंचायत सचिव तथा पुलिस में भी भर्ती हुए हैं।
यहां तैयारियां कर रही शीतल ने कहा कि यहां पर क़ाफी समय से आ रही है। इस केंद्र में  लड़कियों की संख्या भी लड़कों से ज़्यादा है, तथा पढ़ाई का बहुत अच्छा माहौल है। ज्ञान केन्द्र की यह सुविधा हमें अपने जीवन में आगे बढ़ने व बेहतर करने में।सहायक सिद्ध हो रही है।
ग्राम पंचायत हाट के प्रधान बरक़त अली का कहना है कि यह पुस्तकाल उपायुक्त के मार्गदर्शन में निर्धारित समय से पहले ही तैयार कर लिया गया था।
बर्तमान में 50 से 60 बच्चे इस सुविधा का लाभ उठाकर जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रयास कर रहे हैं उन्होंने कहा  कहा कि पंचायत में निजी कार्यों से आने वाले लोग निश्चित तौर पर ज्ञान केन्द्र में थोड़ा समय बिताएंगे। इससे सरकार के कल्याणकारी योजनाओं व कार्यक्रमों की जानकारी भी लोगों को समय-समय पर प्राप्त हो रही है ।
गाहर पंचायत की प्रधान रोहित वत्स धामी
ने उनकी पंचायत में ज्ञान केन्द्र स्थापित होने पर अपनी खुशी का इजहार करते हुए कहा कि वह इस ज्ञान केन्द्र को एक माॅडल के तौर पर विकसित करने की इच्छा रखते हैं। सभी आयुवर्ग के लोगों को इसमें पाठन सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है।
उनका कहना है कि उपायुक्त आशुतोष गर्ग की पहल से पहली पांच पंचायतों में से एक गाहर में स्थापित यहां के पुस्तकालय  में अभी लगभग 20 बच्चों के बैठने की व्यवस्था है। पुस्तकालय का लाभ लेने के अलावा यहां स्कूली बच्चों के लिए भी लगभग 2100 विभिन्न रोचक पुस्तकों की व्यवस्था है। अलग से इंटरनेट सुविधायुक्त एक कम्प्यूटर रूम की व्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि यहां से  3 पुलिस में  भर्ती हुए हैं तथा हाल ही में एक बच्चे ने  एनडीए  की परीक्षा में ऑल इंडिया में 4 वां रैंक हासिल किया है।
सेउबाग की रहने वाली मध्यम वर्ग से  संबंधित यहां तैयारियां कर रही मोनिका बिष्ट का कहना है कि  वह यहां बैठकर आलाइड सेवाओं की मुख्य परीक्षा की तैयारियां कर रही है। मोनिका ने दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से अंग्रेजी व अर्थशास्त्र में स्नाकोत्तर के साथ ही अर्थशास्त्र में यूजीसी नेट भी उत्तीर्ण किया है। उन्होंने बताया कि  उनके भाई ने भी यही तैयारियां कर के पुलिस विभाग में नौकरी हासिल की है।

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