सेब और गुठलीदार फलों में पत्ती खाने वाले भृंगों का प्रबंधन

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हाल ही में सेब और अन्य गुठलीदार फलों में बीटल (भृंग) के संक्रमण से संबंधित रिपोर्ट आई हैं। पत्ते खाने वाले भृंग को मई या जून भृंग के नाम से भी जाना जाता है। ये भृंग बहुभक्षी होते हैं और बागवानी और कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण महत्व के कीट हैं। भृंग गर्मियों की बारिश के दौरान और बाद में वयस्कों के उभरने के बाद मिट्टी में अंडे देते हैं। अंडे की अवधि प्रजातियों के आधार पर कुछ हफ्तों से लेकर एक महीने से अधिक तक हो सकती है।

इस कीट  के प्रबंधन  के लिए डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी द्वारा वैज्ञानिक सिफारिश जारी की गई है।

लार्वा अवस्था (सफ़ेद ग्रब): अंडे से निकला नवजात शिशु शुरू में मिट्टी के कार्बनिक पदार्थ और ह्यूमस खाता है और बढ़ने पर पौधों की जड़ों को भोजन बनाता है। इसके ग्रब C-आकार, सफ़ेद शरीर और भूरे रंग के सिर से पहचाना जा सकता है। सर्दियों के दौरान मिट्टी में गहराई तक चले जाते हैं और सर्दियों के दौरान निष्क्रिय रहते हैं और अगले वसंत के दौरान फिर सक्रिय हो जाते है। पूरी तरह से विकसित ग्रब गर्मियों के दौरान मिट्टी में गहराई तक चले जाते हैं और प्यूपा में बदलने के लिए एक मिट्टी की कोशिका बनाते हैं। वयस्क भृंग कुछ सप्ताह बाद निकलते हैं। ये लार्वा मिट्टी में रहते हैं और सेब, आड़ू और गुठलीदार फलों जैसी फसलों की जड़ों के साथ-साथ आलू, गाजर और टमाटर जैसी सब्जियों के साथ साथ सजावटी पौधे को खाते हैं।

सफ़ेद ग्रब द्वारा जड़ों को खाने से पौधे की जड़ें कमजोर हो जाती हैं और पोषक तत्वों और पानी के अवशोषण में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे पौधे का मुरझाना, विकास रुक जाना और अधिक क्षति  के कारण  पूरा पौधा के गिरने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। वयस्क भृंग पौधों की पत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे बड़े पैमाने पर पत्ते खाये हुय नज़र आते हैं हैं। यह क्षति न केवल पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्षमता को कम करती है, बल्कि समग्र पौधे की शक्ति और उत्पादकता को भी कम करती है। कुछ बीटल पौधों के प्रजनन भागों के लिए एक अलग प्राथमिकता दिखाते हैं – फूल, और फल पर भोजन करते हैं। उनकी गतिविधि सीधे इन संरचनाओं को नुकसान पहुंचाती है और अक्सर कम फल लगता है और उपज मैं भी भारी गिरावत आती है।

प्रबंधन: इन कीटों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए एक समग्र एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) विधि द्वारा  की जा सकती है। जिन खेतों में भृंग का संक्रमण पहले से है उनको अप्रैल-मई या सितंबर के दौरान बार-बार जोता जाना चाहिए। खेत की जुताई से मिट्टी में ग्रब और प्यूपा धूप  में बाहर आ जाते है और उन्हें पक्षियों जैसे प्राकृतिक शिकारियों द्वारा अपना भोजन बनाया जाता है।

इसके अतिरिक्त, जुताई के दौरान उपरि स्तह पर निकले व्हाइट ग्रब को पकड़ कर इकट्ठा करना और नष्ट करना कीटों की आबादी को कम करने में और मदद करता है। शुरुआती अवस्था में ग्रब आंशिक रूप से विघटित कार्बनिक पदार्थों की ओर आकर्षित होते हैं, इसलिए इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि खेत में केवल पूरी तरह से सड़ा गोबर की खाद ही डाली जाए जो ग्रब विकास को रोकती है और मिट्टी के लाभकारी जीवों के विकास का समर्थन करती है। चूंकि वयस्क का उभरना आम तौर पर पहली गर्मियों की बारिश के साथ होता है इसलिए इस स्तर पर उनका संग्रह और विनाश एक लागत प्रभावी और कुशल उपाय है। वयस्क भृंग, आमतौर पर शाम 8:00 बजे के बाद शाम के समय पत्ते और फलों को खाने के लिए आते हैं। पेड़ों की शाखाओं को हिलाकर और पेड़ के नीचे कपड़ा बिछाकर भृंगों को इकट्ठा किया जा सकता है। भृंगों को केरोसिन (5%) मिश्रित पानी में डुबोकर नष्ट करें या मार दें।

लाइट ट्रैप मुख्य रूप से निगरानी के उद्देश्य से उपयोग किए जाते हैं। हालांकि, उनका उपयोग वयस्क भृंगों को आकर्षित करने और मारने के लिए भी किया जा सकता है। इन ट्रैप को खुले क्षेत्रों में लगाया जाना चाहिए ताकि आकर्षण को अधिकतम किया जा सके और इनकी जनसंख्या में कमी लाई जा सके। गर्मियों की बारिश के बाद सामूहिक स्तर पर यह अभियान शुरू किया जाना चाहिए। जो किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं पौध संरक्षण के रूप में प्राकृतिक विधि से तैयार अस्त्रर जैसे कि अग्निअस्त्र, ब्रह्मअस्त्र, दशपर्णी अर्क (3 लीटर/ 100 लीटर पानी) की दर से तीन दिनों तक लगातार छिड़काव करनेसे इन भृंगों को रोका जा सकता है।

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