DNN सोलन (आदित्य सोफत)
शूलिनी निजी बस आपरेटर यूनियन केबिनेट में हुए फैंसले को लेकर नाखुश है। यूनियन का कहना है कि सरकार द्वारा न तो बस किराया बढ़ाने को लेकर कोई बात कहीं हैं और न ही बसों की इंशोरेंस व स्पेशल रोड टैक्स को लेकर भी कोई ध्यान दिया गया है। इसके चलते शूलिनी निजी बस आपरेटर यूनियन द्वारा बसें न चलाने का फैंसला लिया हैं। यूनियन के सदस्यों का कहना है कि सरकार द्वारा इंटरस्ट फ्री लोन की बात कहीं है, लेकिन इस लोन से केवल बसें तैयार होकर सड़कों पर तो उतर जाएगी। परन्तु अन्य खर्चे पुरे नहीं हो पाएंगे और न ही कर्मचारियों की तनख्वा निकल सकेगी। आपरेटरों का कहना है कि इस प्रकार सारा बोझ केवल आपरेटरों पर ही पड़ेगा। शूलिनी निजी बस आपरेटर यूनियन के प्रधान मेहता रघुविंद्रा सिंह का कहना है कि हम सरकार के फैंसले पर निर्भर थे और विश्वास लगा बैठे थे कि कोई बेहतर फैंसला निजी बस आपरेटरों के हितों को लेकर होगा, लेकिन आपरेटरों केवल निराशा हाथ लगी है। उन्होंने कहा हैं कि निजी बसों को भी एचआरटीसी बस की तरह समझा जाए और उचित कदम उठाए जाए, ताकि जनता पर भी अधिक बोझ न पड़े।
01 जून से चलनी थी बसें
आपको बता दें की सरकार द्वारा 60 फीसदी सवारियों को लेकर बसें दौड़ने का निर्णय लिया गया था। जिसके बाद हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसें तो 01 जून से तो चली पर निजी बसों के अधिक खर्चों को देखते हुए बसें नहीं दौड़ाई गई। इसके बाद शूलिनी निजी बस आपरेटर यूनियन ने मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश व परिवहन मंत्री को मांग पत्र सौंपा था। इस मांग पत्र में निजी बस आपरेटरों ने अपनी समस्याओं व मांगांे के बारे में अवगत करवाया था। इसके पश्चात प्रदेशभर के निजी बस ऑपरेटरों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हुई और निजी बस आपरेटर केबिनेट के फैंसले के बाद बसें चलाने का निर्णय लिया था।
बने समीक्षा कमेटी
हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी राज्य है। यहां पर बसों को चलने में खर्चा अधिक आता है। इस तरह जम्मू व कश्मीर और उत्तराखंड भी पहाड़ी राज्य की तरह है। जहां पर सरकार द्वारा बस किराए में बढ़ोतरी कर दी है। यूनियन का कहना है की हमारी भी सरकार से यही मांग है कि जम्मू व कश्मीर और उत्तराखंड के तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में बस किरायों में बढ़ोतरी कर दी जाए और इसी के साथ एक समीक्षा कमेटी का गठन भी किया जाए ताकि वह कमेटी डीजल के मूल्यों की मॉनिटरिंग कर बस किरायों को बढ़ा व घटा सके।














