शिक्षकों को टेट की अनिवार्यता के फैसले पर सरकार क्यों है खामोश : जयराम ठाकुर

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देश भर में राज्य सरकारें राज्य सरकारें कर रही हैं सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन

पूर्व नियुक्त शिक्षकों के लिए टेट की अनिवार्यता के फैसले पर सरकार रखे अपना पक्ष

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शिमला : पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा देश भर में कक्षा एक से लेकर आठ तक कार्यरत शिक्षकों की नौकरी जारी रखने और पदोन्नति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करना अनिवार्य कर दिया है। इस फैसले की वजह से प्रदेश में शिक्षण कार्य कर रहे हजारों शिक्षकों के लिए यह पात्रता परीक्षा पास करना अनिवार्य हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए देश भर के अलग-अलग राज्यों द्वारा निवेदन किया गया है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान जैसे अन्य राज्यों ने इस मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पुनर्विचार या दाखिल कर दी है। लेकिन हिमाचल प्रदेश की सरकार अभी तक सोई है। इस बारे में सरकार ने अपना रुख तक स्पष्ट नहीं किया है। प्रदेश भर के शिक्षक समूह द्वारा इस मामले में सरकार के दखल की मांग की गई है कि अन्य प्रदेशों की तरह हिमाचल सरकार भी माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करें। लेकिन अभी तक हिमाचल प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग ने इस बारे में इस फैसले के खिलाफ कोई सुप्रीम कोर्ट में जाने बारे निर्णय नहीं लिया है, जिससे फैसले के दायरे में आने वाले सभी शिक्षक परेशान हैं। समय बीतता जा रहा है और सरकार खामोश है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आए तीन हफ्ते का समय बीत चुका है लेकिन सरकार द्वारा अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। माननीय न्यायालय के इस आदेश से शिक्षक परेशान हैं। उनकी नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में माननीय न्यायालय के फैसले के परिपेक्ष में सरकार द्वारा संबंधित शिक्षकों की चिंताओं को सुनकर उसका निराकरण करें। जिसे शिक्षण कार्य प्रभावित न हो।

जयराम ठाकुर ने बताया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर 2025 को अंजुमन इशात ई तालीम ट्रस्ट बनाम महाराष्ट्र सरकार और अन्य के केस में देश के सभी सेवारत शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करना अनिवार्य करने के आदेश दिए हैं। इससे शिक्षकों की नौकरी भी जा सकती हैं। जिससे देश और प्रदेश के लाखों शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं और परेशान हैं। हिमाचल प्रदेश में भी हजारों शिक्षक इससे प्रभावित हो रहे हैं। शिक्षक लंबे समय से शिक्षा के अधिकार नियम से पहले से ही सेवारत और प्रशिक्षित है। इस बारे में प्रभावित सभी राज्यों की सरकारें अपने शिक्षकों के हित में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पेटिशन फाइल कर रही हैं। इस बारे में पूर्व भाजपा सरकार ने इन शिक्षकों को नियमित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी थी इसके बाद इन सभी शर्तों में छूट प्रदान करते करते हुए लगभग 12 हजार शिक्षकों को नियमित किया गया था।

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