DNN कुल्लू
2 मार्च। जिला बाल संरक्षण इकाई कुल्लू द्वारा आज जिला परिषद सभागार में बाल मजदूरी तथा सीआईएसएस (गलियों में अपने गुजर-बसर के लिए घूमने वाले बच्चों) के संरक्षण तथा पुनर्वास को लेकर हितधारक विभागों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता एसडीएम विकास शुक्ला ने की। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर तथा महत्वपूर्ण विषय है। उन्होंने बाल मजदूरी तथा चायल्ड इन स्ट्रीट सिचुऐशन के बच्चों के उत्थान के लिए एनजीओज तथा सभी हितधारक विभागों को एक मुहिम चलाकर पर आगे आने के लिए कहा। इस प्रकार सबके प्रयासों से इस चुनौतीपूर्ण कार्य से ऐसे बच्चों के भविष्य को संवारा जा सकता है। उन्होंने बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं की भी विस्तार से जानकारी दी।इससे पहले जिला बाल संरक्षण अधिकारी गीता राम ने मुख्यातिथि का स्वागत किया तथा जुवेनिल जस्टिस सिस्टम तथा गुम बच्चों की ट्रैकिंग को लेकर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जिला कुल्लू में ऐसे 7 बच्चों को चिन्हित किया गया है तथा उन्हें उनके माता-पिता को सौंप कर भविष्य में गलियों में न छोडने को कहा गया है। इसी प्रकार स्त्रोत व्यक्ति एवं सीडीपीओ कटराईं गजेन्द्र ठाकुर ने भी गलियों में अपनी आर्थिकी को लेकर गुजर- बसर करने वाले बच्चों के अधिकारों के बारे में जानकारी दी। जुवेनल जस्टिस बोर्ड की सदस्य विजय भंडारी ने भी पोक्सो अधिनियम, 2012 तथा बाल मजदूरी निवारण अधिनियम 1986 तथा जुवेनल जस्टिस बोर्ड की भूमिका के तहत विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बच्चों को यौन शोषण अपराधों से बचाने को परिवार तथा समाज की सक्रिय सहभागिता का होना जरूरी है। बच्चों को बाल मजदूरी से बचाएं ताकि उनका शारीरिक तथा मानसिक विकास सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि जेजे बोर्ड विभिन्न अपराधों में संलिप्त बच्चों से मित्रवत व्यवहार करता है ताकि बच्चे अपने अपराध को गल्ती मानें और उसमें सुधार करें। जिला ऊना के समूरकला में बाल सुधार गृह में ऐसे बच्चों को सुधारने के लिए भेजा जाता है।
डा. सत्यावर्त वैद्य ने भी बाल मजदूरी, विभिन्न प्रकार के नशों में संलिप्त बच्चे जो चोरी तथा विभिन्न प्रकार के अन्य गल्त कार्यों में फंस जाते हैं जिससे वे कुपोषण तथा अन्य संक्रमक रोगों का शिकार हो जाते हैं। ऐसे बच्चों के पुनर्स्थापन के दौरान उनके स्वास्थ्य को लेकर डाईट पर ध्यान रखने की आवश्यकता पर बल दिया। इस प्रकार के कार्यों में संलिप्त बच्चों को इससे बाहर निकालने के लिए सभी को अपने-अपने स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है।
बाल कल्याण समिति की सदस्य पुष्पा ने भी बाल कलयाण समिति के उत्तरदायित्वों तथा भूमिका की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कुल्लू में होस्टल केयर में 9 बच्चे हैं। सीसीआई कलैहली में ऐसे बच्चों को शिक्षा प्रदान की जाती है तथा 2500 रूपए सीडब्ल्यूसी की ओर से ऐसे बच्चों को प्रति माह प्रदान किए जाते हैं।
जिला कल्याण अधिकारी समीर चंद तथा जिला श्रम अधिकारी डीआर कायस्था ने भी अपने-अपने विभाग से सम्बंधित दिव्यांगजनों के लिए चलाई जा रही महत्वपूर्ण योजनाओं तथा बाल संरक्षण अधिनियम के तहत विभिन्न प्रावधानों की जानकारी दी। नगर परिषद भुंतर की अध्यक्ष मीना ठाकुर ने कहा कि बाल मजदूरी तथा भीख मांगने व अन्य नशे जैसे कार्यों में संलिप्त बच्चों को इन बुराईयों के चंगुल से छुड़ाने के लिए सभी को इस कार्यशाला से संकल्प लेकर आगे आना चाहिए ताकि जिला कुल्लू को आदर्श जिला बनाया जा सके।
इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सुशील चंद्र शर्मा सहितत अन्य विभागों के अधिकारी तथा एनजीओ भी उपस्थित रहे