प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गठित राष्ट्रीय सलाहकार समिति के सदस्य बने प्रोफेसर चंदेल

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DNN सोलन

डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल को भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की आई.एन.एम. डिवीजन द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गठित सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में नामित किया गया है। यह समिति देश में प्राकृतिक खेती को सुचारू रूप से बढ़ावा देने में सलाह और मार्गदर्शन देगी। इस समिति का कार्यकाल दो साल का होगा।

कृषि और किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त सचिव (आईएनएम) इस 14 सदस्यीय समिति के अध्यक्ष होंगे। इस समिति में प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल के साथ डॉ एसके चौधरी, डीडीजी एनआरएम आईसीएआरनीति आयोग की सलाहकार (कृषि) डॉ नीलम पटेलसंयुक्त सचिवएनआरएलएमसंयुक्त सचिव (आईएनएम) और देश के जाने-माने नाम इस समिति के सदस्य हैं। समिति देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री की अध्यक्षता वाली संचालन समिति को सलाह और समर्थन देगी। देश में प्राकृतिक खेती को समग्र रूप से बढ़ावा देने, विशेषकर गंगा बेसिन के 5 किमी दायरे में प्रारंभिक ध्यान देने के लिए भी मार्गदर्शन करेगा। प्रोफेसर चंदेल को हाल ही में तीन साल की अवधि के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) सोसायटी के गवर्निंग बॉडी और जनरल बॉडी के सदस्य के रूप में नामित किया गया हैं। यह निकाय आईसीएआर का मुख्य कार्यकारी और निर्णय लेने वाला प्राधिकरण है। इसकी अध्यक्षता आईसीएआर के महानिदेशक करते हैं।

प्रोफेसर चंदेल एक प्रसिद्ध कीटविज्ञानी है और शिक्षा और अनुसंधान में करीब तीन दशकों का अनुभव है। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयपालमपुर से बीएससी और एमएससी की डिग्री पूरी की और नौणी विवि से कीट विज्ञान में पीएचडी की। प्रोफेसर चंदेल ने अपने करियर की शुरुआत रिसर्च फेलो के रूप में की और बाद में यूएचएफ में सहायक वैज्ञानिक, वरिष्ठ वैज्ञानिक, प्रधान अवशेष विश्लेषक, संयुक्त निदेशक के रूप में भी काम किया है। उन्होंने शुष्क क्षेत्रों में सेब परागणहर्बल शहद उत्पादनपिस्ता के उत्पादन में वृद्धि और कई अन्य क्षेत्रों में व्यापक शोध किया है। नौणी के कुलपति का कार्यभार संभालने से पहलेप्रोफेसर चंदेल ने प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक के रूप में भी काम किया और राज्य में प्राकृतिक कृषि पद्धति को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों से देश के विभिन्न मंचों पर प्राकृतिक खेती के हिमाचल मॉडल की सराहना भी की गई है।

प्रोफेसर चंदेल ने देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में योगदान करने का अवसर देने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय और आईसीएआर को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और छात्रों ने प्रो. चंदेल को बधाई दी।

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