अरे वाह! बाजार में जल्द मिलेगा नौणी विवि में तैयार हुआ पारम्परिक कचोल 

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DNN नौणी (सोलन)

डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (यूएचएफ), नौणी द्वारा तैयार किया गया पारंपरिक व्यंजन ‘कचोल’ या ‘कचोल्टू’ जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगा। जिला की लोकप्रिय मक्की से बना यह व्यंजन पुरे साल के लिए मार्केट में उपलब्ध रहेगा। नौणी विवि के वैज्ञानिकों की तकनीकी मार्गदर्शन में सोलन की युवा उद्यमी प्रीति कश्यप ने हाल ही में इसका एक आधुनिक रूप लॉन्च किया है। यह पारंपरिक व्यंजन एक फ़्रोजन फूड रूप में उपलब्ध होगा।
प्रीति ने वर्ष 2019 में विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के फ्रूट एंड वेजिटेबल प्रोसेसिंग एंड बेकरी प्रोडक्ट्स में एक साल के डिप्लोमा प्रोग्राम में दाखिला लिया था। इस डिप्लोमा के दौरान, प्रीति ने मुख्यमंत्री स्टार्ट-अप योजना में अपने इस आइडिया से आवेदन किया। अनुमोदन पर, अपने इस आइडिया को परिष्कृत करने और एक उत्पाद में विकसित करने के लिए इनक्यूबेटर के रूप में नौणी विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग आवंटित किया गया। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ देविना वैद्य और उनकी टीम-डॉ मनीषा कौशल और अनिल गुप्ता ने उत्पाद को विकसित करने में वैज्ञानिक इनपुट प्रदान किया।

अपनी दादी द्वारा इस पारंपरिक पकवान को तैयार करते देख, प्रीति को विचार आया कि इसे कैसे साल भर सभी को इसे उपलब्ध करवाया जा सके। यह पारंपरिक पकवान ताजा मक्की के दानों को पीसकर अक्सर बियूल के पतों पर स्टीम कर तैयार किया जाता है और घी के साथ परोसा जाता था। क्योंकि ताजा मक्की की उपलब्धता केवल बहुत ही सीमित समय तक ही रहती है, इसलिए उत्पाद केवल ताजा खपत के लिए बनाया जा सकता था। प्रीति का विचार था कि उत्पाद को आधुनिक रूप में पूरे वर्ष उपलब्ध कराना है। मुख्यमंत्री स्टार्टअप योजना ने उन्हें अपने इस आइडिया को एक उत्पाद में बदलने का मंच दिया। उत्पाद को हाल ही में नौणी विवि के कुलपति डॉ परविंदर कौशल द्वारा लॉन्च किया गया।

नौणी विवि में प्रीति ने उत्पाद की शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए व्यापक परीक्षण किया क्योंकि पहले यह केवल मक्की की मौसम के दौरान ही उपलब्ध होता था। विश्वविद्यालय और हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री स्टार्ट-अप योजना, विश्वविद्यालय और इसके वैज्ञानिकों, और अपने परिवार का धन्यवाद दिया। विश्वविद्यालय के मेंटर ने प्रीति को बाइंडींग मिक्स और शेल्फ लाइफ को बढ़ाने की समस्याओं को हल करने में मदद की। इस उत्पाद की शेल्फ लाइफ को नौ महीने तक बढ़ाया गया और वो भी बिना किसी संरक्षक या बाहरी स्वाद के उपयोग किए बिना। इसके अलावा, अंतिम उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नमी और संवदिक परीक्षण सहित कई परीक्षण किए गए। प्रीति ने अब अपनी कंपनी- हेल्दी फूड ट्रेजर की स्थापना की है और इसका उद्देश्य वर्ष के अंत तक इस उत्पाद को बाजार में उपलब्ध करवाना है। इस उत्पाद के अन्य स्वीट, नींबू और लहसुन युक्त, और फोर्टिफाएड वेरिएंट का परीक्षण किया जा रहा है।

इस अवसर पर प्रीति और विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को उनकी उपलब्धि पर बधाई देते हुए कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने कहा कि युवा उद्यमियों द्वारा पारंपरिक खाद्य पदार्थों को लोकप्रिय बनाने के लिए आगे आना बहुत उत्साहजनक है । उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपने छात्रों को कृषि-बागवानी और संबद्ध विषयों में उद्यमशीलता के लिए प्रोत्साहित कर रहा है जहां वे अपने नवीन उत्पादों एवं सेवाएं के माध्यम से लोगों के जीवन को बदलने के लिए विश्वविद्यालय में अर्जित ज्ञान का उपयोग कर सकते हैं। डॉ कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय नियमित रूप से किसानों को सूचना के प्रसार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से नए उद्यम स्थापित करने में मदद करता है और भविष्य में भी इस तरह की पहल का समर्थन करता रहेगा।

नौणी विवि के इन्क्यूबेशन सेंटर के नोडल अधिकारी डॉ मनोज वैद्य ने बताया कि वर्ष 2017-18 में यह केंद्र विश्वविद्यालय को मिला था। तब से आज तक विश्वविद्यालय ने शॉर्टलिस्ट प्रक्रिया के बाद आठ इनक्यूबेटी को नामांकित किया है। दो ने तो अपने उत्पाद को लॉन्च करने और अपना स्टार्टअप स्थापित करने में कामयाबी हासिल की है जबकि तीन इनक्यूबेटी के प्रोटोटाइप अंतिम परीक्षण चरण में हैं। मुख्यमंत्री स्टार्टअप योजना में संभावित उद्यमियों को व्यावहारिक ज्ञान, अभिविन्यास प्रशिक्षण और उद्यमी मार्गदर्शन दिया जाता है। मेजबान संस्थान द्वारा परियोजना की सिफारिश और अधिकारित समिति द्वारा अनुमोदित किए जाने के बाद एक वर्ष के लिए मासिक समर्थन भत्ता भी दिया जाता इनक्यूबेशन सेंटर सलाहकार सेवाएं प्रदान करके स्टार्टअप और नवाचार का समर्थन करते हैं और इसकी प्रयोगशालाओं और सुविधाओं को भी मुफ्त में इस्तेमाल किया जा सकता है।

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