हर नीति युवा और प्रदेश विरोधी क्यों बना रही है सुक्खू सरकार
Dnewsnetwork
शिमला : नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि जॉब ट्रेनी की योजना प्रदेश के युवाओं के साथ सुक्खू सरकार का भद्दा मज़ाक है। इस तरह की योजनाएं प्रदेश में स्वीकार नहीं हैं। सरकार इस युवा विरोधी योजना को वापस ले। यह कितनी हैरानी की बात है कि जो सरकार ‘ठूंजा साल वाली पक्की नौकरी’ देने की गारंटी देकर, पहले कैबिनेट में एक लाख सरकारी नौकरी की गारंटी देकर, पाँच लाख नौकरी की गारंटी देकर सत्ता में आई हो वह इस तरह से युवा विरोधी काम कर रही है। झूठ बोलकर, झूठी गारण्टियां देकर सत्ता में आने के बाद से ही सुक्खू सरकार नौकरियां छीनने, नौकरियां न देने, नौकरियां खत्म करने, नौकरियों से निकालने और नौकरियों की संभावना को समाप्त करने की दिशा में ही साज़िशें कर रही है। इस सरकार ने ढाई साल से ज़्यादा के कार्यकाल में लोगों को नौकरियां देने का एक भी प्रयास ईमानदारी से नहीं किया। सरकार सारा तिकड़म नौकरियां निकालने के बजाय नौकरियों से निकालने का ही कर रही है। यह जन विरोधी, युवा विरोधी, प्रदेश विरोधी सरकार है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार से आग्रह है कि वह प्रदेश के युवाओं का भी ध्यान अपने मित्रों की तरह ही रखे। मित्रों को लाभ देने के लिए सरकार सैकड़ों रास्ते तलाश लेती है लेकिन जब युवाओं को उनका हक देने की बात आती है तो सरकार उनसे उनका हक छीनने के रास्ते तलाशती है। सत्ता में आने के बाद से ही सुख की सरकार ने युवाओं को नौकरी देने वाले संस्थान को ही बंद कर दिया। इसके बाद 26 अक्टूबर 2024 को ही सरकार ने दो साल से खाली पड़े सभी पद समाप्त कर दिया। इससे डेढ़ लाख से ज़्यादा नौकरियां ख़त्म हो गई। दो साल बाद सरकार ने कर्मचारी चयन आयोग बहाल तो किया लेकिन वह भी फंक्शनल नहीं हुआ। आयोग के पास परीक्षा आयोजित कारवाने का ही कोई इंतज़ाम नहीं है। दुःख की बात यह है कि यह हाल उस सरकार का है जो नौकरियाँ देने के नाम पर ही सत्ता में आई है। लेकिन नौकरियों की माँग करते हुए प्रदेश के युवा सुक्खू सरकार के शपथ ग्रहण से ही सड़कों पर हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आख़िर सरकार किस मंशा से काम कर रही है। सरकार की हर गतिविधि हर नीति प्रदेश विरोधी होती है, प्रदेश के युवाओं की विरोधी होती है। विकास विरोधी होती है। आखिर सरकार चाहती क्या है? पहले सरकार ने युवाओं को नियमानुसार रेगुलर करने में अड़ंगे लगाए। दो साल का कांट्रैक्ट पीरियड पूरी करने वाले कर्मचारियों को पहले साल में दो बार रेगुलर किया जाता था लेकिन सुक्खू सरकार ने उसे बदलते हुए एक बार ही रेगुलर करने की अघोषित प्रथा शुरू कर दी। अब सरकार ने भर्ती नियमों में ही उलट फेर कर दिया और कर्मचारियों के कांट्रैक्ट पीरियड खत्म करके जॉब ट्रेनी की नीति लेकर आए हैं। जिसका प्रदेश भर में भारी विरोध हो रहा है। ऐसे में सरकार की कार्यप्रणाली और मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं कि सरकार की एक भी नीति, एक भी योजना की प्रदेश के लोगों द्वारा सराहना क्यों नहीं होती है? सरकार की हर नीति की चौतरफा आलोचना और विरोध से यह साफ़ है कि सरकार का एक भी काम व्यापक जनहित और विकासोन्मुख नहीं है। सुक्खू सरकार प्रदेश के इतिहास की पहले सरकार है जो लोगों को सुविधाएं देने के बजाय सुविधाएं छीनने के लिए काम करती है। योजनाएं देने के बजाय योजनाएं बंद करने का काम करती है। सरकार अपनी नीति बदले और जनहित के काम करे।