सोलन में नारद जयंती पर संगोष्ठी आयोजित, पत्रकारिता के मूल्यों पर हुआ विचार मंथन

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DNN सोलन, 13 मई।
विश्व संवाद केंद्र शिमला और एमएस पवार इंस्टिट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन एंड मैनेजमेंट, सोलन के संयुक्त तत्वावधान में देवर्षि नारद जयंती के अवसर पर सोमवार को एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सोलन-राजगढ़ रोड स्थित पवार इंस्टिट्यूट परिसर में आयोजित हुआ, जिसमें पत्रकारिता से जुड़े विशेषज्ञों, वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारियों और मीडिया विद्यार्थियों ने भाग लिया।

संगोष्ठी के दौरान वक्ताओं ने देवर्षि नारद को भारतीय पत्रकारिता का आदर्श स्वरूप बताया। वक्ताओं का कहना था कि नारद मुनि केवल एक ऋषि नहीं, बल्कि लोककल्याणकारी संवाद के प्रथम वाहक थे, जिन्होंने निर्भीक, निष्पक्ष और धर्म-संगत संवाद को अपनी शैली बनाया।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ. अवनीश कुमार ने कहा कि नारद मुनि सनातन मूल्यों के संवाहक और संवाद की परंपरा के जन्मदाता थे। उनका संवाद समाज को जोड़ने और नीति पर चलने के लिए प्रेरित करता था। उन्होंने कहा कि आज की पत्रकारिता को नारद जैसे चरित्रों से प्रेरणा लेते हुए सत्य के पक्ष में खड़ा होना चाहिए। सनसनी या पूर्वाग्रह से ऊपर उठकर पत्रकारों को निष्पक्षता, सत्यनिष्ठा और जनहित के लिए संवाद करना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. महेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि पत्रकारों को नारद मुनि के पदचिन्हों पर चलने का प्रयास करना चाहिए। नारद ने संवाद को केवल सूचना देने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज में नैतिकता और धर्म की स्थापना का माध्यम बनाया। आज पत्रकारों को उसी भावना के साथ काम करना होगा।

मुख्य अतिथि डॉ. बीएस पवार ने अपने संबोधन में कहा कि पत्रकारिता समाज का आईना है और पत्रकार का धर्म है कि वह तथ्यों को बिना मिलावट के प्रस्तुत करे। उन्होंने कहा कि समाचार केवल सूचना नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का माध्यम है। पत्रकारों को संवाद की शैली में गरिमा, विवेक और संतुलन बनाए रखना चाहिए।
कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. जीडी गुलाटी ने कहा कि आज जब सूचनाएं क्षण भर में फैलती हैं, तब पत्रकार की भूमिका और अधिक गंभीर हो जाती है। उन्होंने विवेकपूर्ण पत्रकारिता की आवश्यकता पर बल दिया।यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी से सेवानिवृत्त जनसंपर्क अधिकारी पीडी भारद्वाज ने कहा कि पत्रकारिता केवल एक पेशा नहीं, बल्कि जनसेवा का सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि जब संवाद सीमित संसाधनों में होता था, तब भी पत्रकार की विश्वसनीयता ही उसकी पहचान होती थी। आज तकनीकी संसाधन भले बढ़े हैं, लेकिन संवाद की आत्मा वही रहनी चाहिए—सच्ची, संतुलित और संवेदनशील।
जिला मीडिया आयाम प्रमुख तोमर ठाकुर ने कहा कि आज की पत्रकारिता को विचारधारा और प्रभावों से ऊपर उठकर सत्य और सामाजिक सरोकारों को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे पत्रकारिता को सेवा और जिम्मेदारी की भावना से अपनाएं।
कार्यक्रम में पत्रकार कमलेश कुमार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए पत्रकारिता की बदलती दिशा और समाज पर इसके प्रभाव पर विचार रखे। कार्यक्रम में टैगोर इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य ललिता पंवार, विश्व संवाद केंद्र शिमला के उपाध्यक्ष यादविंदर सिंह, कार्यकारिणी सदस्य अनिल हेडली, डिग्री कॉलेज सोलन के पत्रकारिता विभाग के प्रोफेसर डॉ. मुकेश शर्मा सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। संगोष्ठी में मास कम्युनिकेशन के छात्रों की भी सक्रिय भागीदारी रही।

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