नई दिल्ली : भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने बैंकों की नि:शुल्क सेवाओं को समाप्त करने को लेकर सोशल मीडिया पर चल रही खबरों को आधारहीन और गलत बताते हुए आज स्पष्ट किया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की नि:शुल्क सेवाओं में 20 जनवरी से कोई कमी नहीं की जा रही है, बल्कि बैंक व्यावसायिक एवं परिचालन लागत की लगातार समीक्षा करते हैं और मामलों के आधार पर शुल्कें तय करते हैं।
सोशल मीडिया में इसको लेकर चल रही अफवाहों का पुरजोर तरीके से खंडन करते हुये आईवीए ने कहा कि जिस तरह की अफवाहें फैलायी जा रही है उस तरह से कभी भी नि:शुल्क सेवाओं को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता है और न/न ही यह अपेक्षित है। आईबीए ने कहा कि बैंक व्यावसायिक एवं परिचालन लागत की लगातार समीक्षा करते रहते हैं और उसी के आधार पर एक-एक मद के शुल्क भी तय करते हैं। उसने सोशल मीडिया पर चल रही खबरों को आधारहीन और गलत बताते हुये कहा कि रिजर्व बैंक ने शुल्कों के संबंध में अब तक कोई निर्देश या दिशा-निर्देश जारी नहीं किया है।
