इतनी बड़ी आपदा के बाद नहीं मिल रही पाई लोगों को फौरी राहत
जो गांव खतरे में हैं उन्हें खाली करवाकर प्रभावितों की बसाने में मदद करे सरकार
सरकार की नाकामी से पूरे प्रदेश में निराशा, झूठ बोलकर काम चला रही है सरकार
Dnewsnetwork
लाहौल/केलॉंग/उदयपुर : नेता प्रतिपक्ष ने केलॉंग में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि लाहौल में इतनी बड़ी तबाही के बाद भी सरकार को यहाँ के लोगों की फिक्र ही नहीं है। यहां के लोग प्राकृतिक आपदा के साथ-साथ सरकार की नाकामी का भी दंश झेल रहे हैं। तबाही से ज़्यादा नुकसान सरकार की उपेक्षा की वजह से लोगों को उठाना पड़ा है। आपदा से सड़कें बंद हुई तो उन्हें खोलने का काम सरकार का था, लेकिन वह नहीं खोली गई, जिससे कृषि और बागवानी के उत्पाद बाजार तक नहीं पहुंच पाए और हर किसान को लाखों का नुकसान हुआ। सबसे हैरानी की बात यह है कि लाहौल के लोगों को सरकार ने उनके हाल पर छोड़ दिया, जैसे लाहौल हिमाचल का हिस्सा ही नहीं है। इतना नुकसान होने के बाद भी ज्यादातर जगहों पर कोई बड़ा अधिकारी तक नहीं पहुंचा। कुछ जगहों पर पटवारी पहुंचे लेकिन बात उसके आगे नहीं बढ़ी। लोगों को इतने दिनों के बाद भी फौरी राहत नहीं मिली। क्या इसी तरह से आपदा में सरकार को काम करना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह हाल सिर्फ केलॉंग और लाहौल का ही नहीं पूरे प्रदेश का है। सरकार ने मानसून के पहले इस तरह की आपदा से निपटने की कोई तैयारी ही नहीं की थी। आपदा आने के बाद भी सरकार ने कोई मुस्तैदी नहीं दिखाई। आपदा के समय में लोगों को आपदा से राहत देने की बजाय सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री ग़ैर ज़रूरी काम में ही लगे रहे। जब सदन में आपदा पर चर्चा करनी थी तो सीएम बिहार में चुनावी रैली कर रहे थे और जब पुनर्वास के कार्यों को गति देनी है तो भी सरकार के ज्यादातर जिम्मेवार लोग नज़र नहीं आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि बीते कल शाशिन, कोकसर, सीसू, तेलिंग, ट्रिलिंग,यांगला, गोंदला, तांदी संगम घाट, लिंडूर, जालमा, हालिंग, जसराट, जोबरांग, मयार वैली, टिंगरेट, और उदयपुर वैली में प्रभावित लोगों से मिला था और सभी ने वहाँ भी सरकार द्वारा कोई सहयोग न करने के आरोप लगाए थे। आज भी जो लोग मिल रहे हैं वह भी सरकार के सहयोग न मिलने की बात कर रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ताँदी गांव लगातर दोनों तरफ से नदी के कारण होने वाले कटाव की वजह से धँसता जा रहा है। वहाँ पर लोगों की कई बीघा जमीन चली गई है और आगे की गांव भी असुरक्षित हो गया है। इसी तरह और भी गँवा हैं जो धँस रहे हैं। साल दर साल वह धंसते जा रहे हैं, जिससे वह जगहें अब रहने लायक बची नहीं हैं। ऐसी असुरक्षित जगह पर रहना अब खतरे से खाली नहीं है। इसलिए सरकार उन जगहों को खलाई करवाकर सभी प्रभावितों को सुरक्षित जगह बसाए। कुछ जगहों पर लोग अपना घर छोड़ कर रह रहे हैं। ऐसे न जाने कितने लोगों ने हमें रिप्रेज़ेंशन दी है। सरकार को उन लोगों की मदद करनी पड़ेगी। ज्यादतर जगहों पर हाल ख़राब हैं और सरकार की तरफ़ से कोई सुनवाई नहीं हो रही है। लोगों की सब्जियां ख़ासकर गोभी और मटर जो इलाक़े की आय का सबसे बड़ा साधन था, वह अब आपदा और सरकार की नाकामी भेंट चढ़ चुका है। केंद्र सरकार द्वारा अब तक सात हज़ार करोड़ से ज़्यादा की नक़द धनराशि सिर्फ़ आपदा प्रभावितों के लिए जो भेजी गई है वह लोगों को अब तक क्यों नहीं मिल पाई। मुख्यमंत्री उस पैसे से सरकार चलाना चाहते हैं। सरकार केंद्र द्वार भेजी गई मदद को आपदा प्रभावितों तक जल्दी से जल्दी सरकार पहुँचाए।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सत्ता धारी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अन्य कामों में व्यस्त है। किसी भी आपदा क्षेत्र में वह लोग दिखाई नईं पड़े। जबकि हमारी पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं ने पूरा समय आपदा प्रभावितों की सेवा करने में ही निकाला। हर कार्यकर्ता तन मन धन से आपदा प्रभावितों की सेवा में जुटा रहा। आर्थिक सहायता से लेकर राहत सामग्री इकट्ठा करने से लेकर उन्हें हर प्रभावित तक पहुंचाने में जी जान से जुटे हैं। भाजपा का कार्यकर्ता राहत सामग्री पीठ पर लाद कर दस-दस किलोमीटर की दूरी तक पैदल चला है। यही हमारे संगठन की शिक्षा है।