DNN बद्दी
कालूझिंडा पंचायत के कलरांवाली में आयोजित राम कथा में चौथे दिन कथा वाचक प्रकाश शैल महाराज ने बताया कि रामायण की कथा में पार्वती जी के जन्म, शिव-पार्वती विवाह और उनके राम कथा सुनने की इच्छा का एक महत्वपूर्ण स्थान है। शिव पुराण और रामचरितमानस में इस प्रसंग का वर्णन मिलता है। पार्वती, जो पूर्वजन्म में सती थीं, अपने पूर्व जन्म के अनुभवों के कारण कई शंकाओं से घिरी हुई थीं। सती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान राम की परीक्षा ली थी, जिसके कारण उन्हें यह समझने में कठिनाई हुई थी कि भगवान राम सच में भगवान विष्णु के अवतार हैं। इसी कारण, वे अपने अगले जन्म में शिव की अर्धांगिनी बनने की कामना करती हैं। इस जन्म में वे पार्वती के रूप में जन्म लेती हैं, जो हिमालय और मैना की पुत्री हैं।
पार्वती जी ने कठोर तपस्या की ताकि वे भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त कर सकें। उनकी तपस्या और शिवजी की कृपा से उनका विवाह भगवान शिव से संपन्न हुआ। विवाह के बाद पार्वती जी के मन में एक शंका बनी रही कि भगवान राम वास्तव में कौन हैं, और वे किस उद्देश्य से इस पृथ्वी पर अवतरित हुए। इसी शंका को दूर करने के लिए उन्होंने भगवान शिव से राम कथा सुनने की इच्छा प्रकट की।
भगवान शिव, जो स्वयं भगवान राम के अनन्य भक्त थे, पार्वती की जिज्ञासा को शांत करने के लिए उन्हें राम कथा सुनाने के लिए तत्पर हो गए। भगवान शिव ने राम के विभिन्न अवतारों के बारे में बताते हुए कहा कि त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया और राक्षसों के अत्याचार से पृथ्वी को मुक्त कराया। उन्होंने भगवान राम की जीवन गाथा सुनाई, जिसमें राम के बाल्यकाल, वनवास, सीता हरण, और अंततः रावण वध का वर्णन किया गया।