बैंक कर्मीयों का आंदोलन दूसरे दिन भी जारी ,सरकार ने बिल वापिस नहीं लिया तो आंदोलन होगा और उग्र :नरेन्द्र शर्मा

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DNN शिमला

17 दिसम्बर। केंद्र सरकार द्वारा देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के लिए लाए जा रहे बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 का देशभर में विरोध हो रहा है। इस बिल के विरोध में देश भर के 10 लाख से ज्यादा बैंक कर्मी दो दिन की हड़ताल पर हैं।शुक्रवार को हड़ताल के दूसरे दिन भी यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियनस के बैनर तले सैंकड़ों बैंक कर्मचारियों ने डीसी ऑफिस के बाहर धरना प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के प्रदेश संयोजक नरेंद्र शर्मा ने बताया कि सरकार संसद के वर्तमान सत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने के लिए लिए बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 ला रही है। इस विधेयक के पारित होने से सरकार की 51 फीसदी हिस्सेदारी कम हो जाएगी और इससे बैंकिग व्यवस्था निजी हाथों में चली जाएगी. निजीकरण से बैंकों को भारी नुकसान होगा.यह नुकसान अकेले बैंकों तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि आम जनता पर भी इसका असर पड़ेगा. निजी क्षेत्र के बैंक पब्लिक को सरकारी योजनाओं के लिए ऋण नहीं देते, अगर हमारे बैंक भी निजी हो गए तो आम आदमी को ये ऋण नहीं मिल पाएंगे.इससे देश की आर्थिक विकास की गति कमजोर होगी।यूनियन पब्लिक सैक्टर के बैंकों के अस्तित्व को बचाने के साथ देश की आम जनता के हितों को संरक्षित रखने की लड़ाई भी लड़ रहा है ।उन्होंने यह भी कहा कि कॉर्पोरेट घरानों की जनता की गाढ़ी कमाई के 157 लाख करोड़ रुपये जो राष्ट्रीकृत बैंकों के डिपॉजिट पर नजर है तथा बैंकों के निजीकरण से ये कॉर्पोरेट घराने इस डिपॉजिट की रकम का मनमाने तरीके से ऋण ले सकेंगे। शर्मा ने कहा कि पब्लिक सैक्टर बैंकों का देश की आर्थिकी में बड़ा योगदान रहा है।आजादी के बाद कृषि के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है. ग्रीन रैवोल्यूशन आया है।रोजगार के अवसर बढ़े हैं।अब अगर सार्वजनिक बैंकों का निजीकरण किया जाएगा और उन्हें निजी कंपनियों के हाथों में सौंप दिया जाएगा तो इससे सबसे बड़ा नुकसान देश की जनता का होगा,क्योंकि प्राइवेट बैंकों का मकसद सिर्फ लाभ कमाना होगा न कि लोगों की सेवा करना और भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा जाएगी.अगर सरकार इस विधेयक को वापस नहीं लेगी तो हमारा प्रदर्शन और ज्यादा उग्र होगा।उधर,बैंक कर्मियों के हड़ताल पर जाने से बैंकों के बाहर हड़ताल के पोस्टर लगे रहे.लेकिन बैंक के भीतर लेनदेन संबंधी कामकाज ठप रहा.जिससे।लोगों को ऑनलाइन ही अपने काम करने पड़े।

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