हिमाचल में शुरू होगा सतत खाद्य प्रणाली प्लैटफ़ार्म

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DNN सोलन

01 सितंबर। सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ाने और प्राकृतिक कृषि के किसानों की आजीविका को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, राज्य कृषि विभाग और किसान उत्पादक कंपनियाँ के बीच सहयोग से एक सतत खाद्य प्रणाली प्लेटफार्म (SusPNF) शुरू किया जा रहा है। यह प्लेटफॉर्म देश में अपने तरह का पहला प्रयास होगा।

यह पहल विश्वविद्यालय, राज्य कृषि विभाग की प्राकृतिक कृषि खुशहाल योजना (PK3Y) और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के बीच सहयोग का हिस्सा है। इस सहयोगात्मक पहल का उद्देश्य प्राकृतिक किसानों को सशक्त बनाना और कृषि क्षेत्र में प्रगति को बढ़ावा देना है।

नाबार्ड ने विश्वविद्यालय को चार प्राकृतिक किसान उत्पादक कंपनियों के लिए एक उत्पादक संगठन प्रमोटिंग इंस्टीट्यूशन (पी॰ओ॰पी॰आई॰) के रूप में नामित किया है, जो सतत कृषि प्रथाओं का समर्थन करने और स्थानीय समुदायों की बेहतरी में योगदान देने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। पी॰ओ॰पी॰आई. इस गठबंधन के ढांचे के भीतर नाबार्ड से अनुदान और सहायता हासिल करने में प्राकृतिक किसान उत्पादक कंपनियों को सुविधा प्रदान करने के लिए अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य इन एफपीसी की क्षमताओं को मजबूत करना और उपलब्ध संसाधनों और कृषक समुदाय के विकास को बढ़ावा देना है।

इस साझेदारी का एक अभिन्न हिस्सा प्राकृतिक कृषि कर रहे किसानों के लिए एक मजबूत समर्थन पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना करना जिसमें फसल कटाई के बाद सहायता, सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप मानचित्रण और विभिन्न तकनीकी सहायता प्रदान करना जैसे महत्वपूर्ण संसाधन शामिल होंगे।

इस अवसर पर विवि के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल के बताया कि यह साझेदारी विश्वविद्यालय को हिमाचल प्रदेश के कृषि परिदृश्य पर सकारात्मक और परिवर्तनकारी प्रभाव डालने के लिए तैयार करेगी और इस क्षेत्र में सतत कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय के व्यापक प्रयासों को उजागर करती है। प्रोफेसर चंदेल ने कहा कि यह केवल वित्तीय सहायता से आगे बढ़कर, प्राकृतिक किसानों का समर्थन करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा अपनाए गए बहुआयामी दृष्टिकोण के प्रमाण है। जैसे-जैसे यह सहयोगात्मक यात्रा आगे बढ़ेगी, ये पहल प्राकृतिक किसानों और राज्य के व्यापक कृषि परिदृश्य के लिए एक उज्जवल और अधिक टिकाऊ भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगी।

इस साझेदारी के तहत, शनिवार को विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशालय में सतत कृषि पद्धतियों पर एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा जिसमें हिमाचल प्रदेश के कृषि सचिव, नाबार्ड और प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना की राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई PK3Y के वरिष्ठ अधिकारी, प्राकृतिक खेती आधारित किसान उत्पादक कंपनी के सीईओ और निदेशक मंडल और परियोजना से जुड़े विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक सहित इस परियोजना से जुड़े सभी हितधारक भाग लेंगे। इस कार्यशाला के दौरान सतत प्राकृतिक कृषि खाद्य प्रणाली मॉडल पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

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