DNN सिरमौर
5 दिसम्बर। जिला के राजगढ़ उपमंडल के कटोगड़ा गांव में चार दशक बाद बूढ़ी दीपावली के मौके पर रविवार रात को करियाला का मंचन किया गया। बताया जाता है कि 1981 में अंतिम बार यहां पर करियाला का मंचन किया गया था। इसके बाद यहां बूढ़ी दीपावली के दिन महज औपचारिकता के लिए ग्याना जलाकर ही बूढ़ी दीपावली की रस्म को निभाया जा रहा है। गांव के बुजुर्ग और कटोगड़ा नवयुवक मंडल के प्रयासों से इस वर्ष फिर से यहां करियाला करने का निर्णय लिया गया। नवयुवक मंडल व गांव के बुद्धिजीवी लोगों का मानना था कि करियाला
का मचन सिरमौर जिला में पच्छाद विधानसभा के कुछ चुनिंदा गांव होता है। यह देव परंपरा है और हमारी समृद्ध संस्कृति का प्रतीक भी है। इसलिए युवाओं को भी इस परंपरा के बारे में पता चलना चाहिए, इसलिए इस बार कटोगड़ा गांव में करियाला का मंचन किया गया।
क्या कहना है स्थानीय लोगों का
पझौता आंदोलन के प्रणेता वैद्य सूरत सिंह के पुत्र व सिरमौरी लोक संस्कृति के जानकार जयप्रकाश चौहान ने बताया कि उनके कटोगड़ा गांव में चार दशक करियाला हो रहा है, जो प्रसन्नता का विषय हैं। इससे यहां के युवाओं को अपनी देव परंपरा को देखने व जानने का अवसर मिला। उन्होंने बताया कि उनके दादा देवी सिंह चौहान भी करियाला किया करते थे और वह हमें बताया करते थे कि दीपावली के बाद से उनका दल करियाला के लिए सिरमौर जिला से सोलन जिला और सोलन से शिमला जिला के धामी तक करियाला किया करते थे। वह दीपावली को घर से करियाला के लिए निकलते थे और ठीक एक माह बाद बूढ़ी दीपावली को वापिस आकर अपने गांव में करियाला करते थे। 1981 के बाद किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया और महज करियाला के नाम पर देव परंपरा की औपचारिकताएं निभाई जाती थी। इस बार यह कटोगड़ा गांव की सार्थक पहल है और यह भविष्य में भी जारी रहनी चाहिए ताकि हमारी नई पीढ़ी को इस विधा के बारे में ज्ञान हो और वह अपनी मूल संस्कृति से जुड़े रहे।
संस्कृति और संग्राम के लिए जाना जाता है कटोगड़ा गांव: सरैक
लोक संस्कृति व लोक कला के क्षेत्र में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित 81 वर्षीय विद्यानंद सरैक ने चार दशक बाद कटोगड़ा गांव में फिर से करियाला शुरू करने पर सभी ग्रामीणों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि स्थानीय ग्रामीणों के प्रयास से देव परंपरा फिर से जीवंत हो गई। सरैक े ने कहा कि संस्कृति और संग्राम में इस गांव का अतुल्य योगदान रहा है। यहां हर घर से संगीत व कला से जुड़े लोग हैं और पझौता आंदोलन में भी इस गांव के वीर नायकों के बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उन्होंने लोगों को अपनी बोली, अपनी संस्कृति को अपनाने की बात कही।
साधु के स्वांग ने हंसाया और कलाकारों ने किया लोगों का मनोरंजन
इस मौके पर सर्वोदय नाट्य दल देवठी मझगांव के कलाकारों ने करियाला का सफल मंचन किया। इसके अलावा लोक कलाकार सीता राम शर्मा, राकेश शर्मा, शकुंतला तनवर, तारा कमल, भूप सिंह वर्मा, विनोद गंर्धव, दिनेश शर्मा , रमेश सरैक समेत अन्य कलाकारों भजन व पहाड़ी नाटियों से उपस्थित जनसमूह का भरपूर मनोरंजन किया। इस कार्यक्रम की विशेषता यह थी कि इसमें हारमोनियम, ढोल, नगाड़े जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों का ही इस्तेमाल किया गया।
ये रहे मौजूद
इस मौके पर वैद्य सूरत सिंह के छोटे भाई जीवन सिंह, जिला परिषद सदस्य सतीश ठाकुर, शिलांजी पंचायत के उपप्रधान विक्रम जस्टा, पूर्व जिला परिषद सदस्य शकुंतला चौहान, दयाल सिंह, सुंदर सिंह, राम स्वरूप भगनाल, घनश्याम भगनाल, कृष्णा भगनाल, संजय चौहान, संदीप ममगाईं, प्रदीप ममगाईं समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।