विनोद कुमार को सरकार कि इस स्कीम से हुआ फायदा, मुर्गीपालन को बतौर उद्यम चाहते हैं अपनाना

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DNN मंडी 

जोगिन्दर नगर उप-मंडल के गांव हराबाग निवासी 38 वर्षीय विनोद कुमार मुर्गीपालन को बतौर उद्यम अपनाना चाहते हैं। विनोद कुमार ने आज से लगभग आठ-दस वर्ष पूर्व मुर्गीपालन को व्यवसाय को तौर अपनाया तथा निजी प्रयासों से सुंदरनगर हैचरी से चूजे लेकर पालना शुरू किया तथा लगभग तीन वर्षों तक इस व्यवसाय से जुड़े रहे, परन्तु किन्ही परिस्थितियों के कारण उन्हे कुछ समय के लिए इस व्यवसाय को बंद करना पड़ा। लेकिन पशुपालन विभाग के माध्यम से वर्ष 2015 में चौंतड़ा से छह दिन का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर फिर से इस व्यवसाय से जुड़ गए तथा अब वे मुर्गीपालन को एक उद्यम के तौर पर अपनाने को तैयार हैं।
जब इस बारे विनोद कुमार से बातचीत की तो कहना है कि प्रशिक्षण हासिल करने के बाद घर के एक कमरे को मुर्गीबाड़े में परिवर्तित करने के बाद उन्हे पशु पालन विभाग के माध्यम से वर्ष 2015 में एक दिन के 50 चूजे प्राप्त हुए। इन चूजों की बेहतर देखभाल के साथ-साथ इनकी फीड का भी इंतजाम किया। ऐसे में खर्चा जेब पर भारी न पड़े इसके लिए उन्होने स्वयं की तैयार फीड के साथ-साथ चूजों को गर्म रखने के लिएख्बिजली का खर्चा कम करने एवं बिजली चली जाने की स्थिति में मिटटी से तैयार ऊर्जा का अतिरिक्त सोर्स भी तैयार किया। इसके अलावा खर्चा कम करने के लिए वे मुर्गीयों को अपने आंगनबाड़ी में भी चराने लगे। इस तरह प्रति चूजा केवल एक रूपया खर्च किया। उन्होने बताया कि जैसे चूजे एक किलोग्राम के हुए तो उन्हे एक सौ रूपये प्रति पक्षी की दर से बेच दिया, जिससे उन्हे लगभग साढ़े तीन हजार रूपये की आय हुई। इसके बाद उन्होने चूजों के लिए एक नया शैड का निर्माण कर दो सौ चूजे पालने का निर्णय लिया। उन्हे पशु पालन विभाग के माध्यम से 200 चूजा बैकयार्ड पोल्ट्री स्कीम के तहत दो सौ चूजों की एक युनिट स्वीकृत हुई है। जिसका वह पालन कर रहे हैं तथा नियमित तौर इन्हे बेचकर उन्हे अच्छी खासी आय भी हो रही है।
दसवीं तक शिक्षा प्राप्त विनोद कुमार का कहना है कि वे भविष्य में मुर्गीपालन को एक उद्यम के तौर पर अपनाना चाहते हैं। उन्होने कहा कि ज्यादा संख्या में मुर्गीपालन के लिए वे एक नया शैड़ का निर्माण करने जा रहे हैं। ब्रायलर के साथ-साथ वे कडक़नाथ प्रजाति के मुर्गे भी पालना चाहते हैं जिसकी न केवल मार्केट में अच्छी मांग है बल्कि दाम भी बेहतर मिलते हैं। इसके अलावा मुर्गी के अंडे बेचकर भी अच्छी कमाई की जा सकती है। विनोद कुमार कहते हैं कि बेरोजगार युवा मुर्गीपालन के माध्यम से स्वरोजगार अपनाकर न केवल अपने पांव में खड़े हो सकते हैं बल्कि घर बैठे आर्थिकी को बल प्रदान कर सकते हैं।

इस संबंध में वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी जोगिन्दर नगर डॉ. अनीश कुमार का कहना है कि विनोद कुमार मुर्गीपालन में बेहतर कार्य कर रहा है तथा विभाग के माध्यम से बैकयार्ड पोल्ट्री स्कीम की दो सौ चूजों की एक युनिट भी प्रदान की है। विनोद कुमार के आत्मविश्वास को देखते हुए उनमें इस व्यवसाय में बेहतर कार्य करने की संभावनाएं हैं तथा विभाग द्वारा हरसंभव मदद प्रदान की जाएगी

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