विकास के नये आयाम…छोटी काशी मंडी में जोरों पर चल रहा डेढ़ सौ करोड़ के शिवधाम का काम

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DNN मंडी

24 नवंबर। छोटी काशी मंडी में विकास को नये आयाम देने वाले भव्य-दिव्य शिव धाम का काम जोरों पर चल रहा है। मंडी के कांगणीधार में साढ़े नौ हेक्टेयर क्षेत्र में 150 करोड़ रुपये से बन रहा दिव्य शिवधाम भव्यता में किसी अजूबे से कम नहीं होगा। पहले चरण के काम पर 40 करोड़ रुपये खर्चे जा रहे हैं। इसमें पहाड़ी की कटिंग और जमीन को समतल बनाने के अलावा मंदिरों के स्तंभ खड़े का काम तेजी से चल रहा है। उपायुक्त मंडी अरिंदम चौधरी बताते हैं कि बताते हैं कि शिवधाम के प्रथम चरण का कार्य सितंबर 2022 से पहले पूरा कर लिया जाएगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से देश-दुनिया में मंडी धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन मानचित्र पर मजबूती से उभरेगा और दुनियाभर के पर्यटकों के लिए मंडी में पर्यटन गंतव्य का नया स्वरूप देखने को मिलेगा।
शिव धाम से विकास को नए आयाम
बता दें, मुख्यमंत्री ने इस ड्रीम प्रोजेक्ट शिवधाम का 27 फरवरी, 2021 को मंडी में शिलान्यास किया था। उन्होंने इस सौगात से छोटी काशी मंडी को धार्मिक पर्यटन के आकर्षण का केंद्र बनाने का सपना साकार किया है। मंडी में शिव धाम से विकास को नए आयाम मिलेंगे। इस परियोजना से लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर बनेंगे।
भव्य दिव्य शिव धाम, बेजोड़ होगा स्वरूप
पर्यटन विभाग मंडी के उपनिदेशक एस.के.पराशर शिवधाम के स्वरूप की जानकारी देते हुए बताते हैं कि शिवधाम में प्रवेश के लिए कैलाश द्वार होगा। यहां श्रीगणेश मंडल के भी दर्शन होंगे, जिसमें भगवान गणेश की भव्य प्रतिमा स्थापित होगी। इसके अलावा गंगा कुंड होगा, शिव वंदना के नाम से ओरिएंटेशन सेंटर होगा। रुद्रा मंडल और डमरू मंडल होगा, जहां भगवान शिव के डमरू के दर्शन और डमरू मंडल के पास खाने पीने की वस्तुएं भी मिलेंगी। मानसरोवर कुंड, मोक्ष पथ, बिल्वपत्र कुंड, शिवस्मृति म्यूजियम तथा एक बड़ा शिवलिंग भी स्थापित होगा जिसे चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग से ही पर्यटक दूर से देख कर आकर्षित होंगे। वहीं शिवधाम में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भी करवाए जाएंगे और भगवान शिव के साथ माता पार्वती, कार्तिकेय और गणेश भगवान की प्रतिमाएं भी होंगी। इसके अलावा यहां हर्बल गार्डन, नक्षत्र वाटिका, एमफी थियेटर होगा और सैकड़ों गाड़ियों के लिए पार्किंग सुविधा हेागी।
भोले की नगरी में शिव धाम की सार्थकता
शैव मत से प्रभावित इस पहाड़ी रियासत की आधुनिक राजधानी की स्थापना बाबा भूतनाथ के मंदिर के निर्माण के साथ ही हुई है। इसके अलावा शिव नगरी मंडी में त्रिलोकीनाथ, महामृत्युंजय, पंचवक्त्र, अर्धनारीश्वर, नीलकंठ, शिव शंभू महादेव, एकादश रुद्र महादेव, रुद्र महादेव आदि अनेक शिव मंदिर हैं, जो बाबा भूतनाथ की नगरी को छोटीकाशी के रूप में पहचान दिलाते हैं। अब 12 ज्योतिर्लिंगों वाले शिवराम की स्थापना से छोटी काशी पर्यटन के मानचित्र पर नए आयाम स्थापित करेगी।
उत्तर भारत का यह पहला ऐसा धार्मिक पर्यटन स्थल होगा जो बाहर से आने वाले पर्यटकों के अलावा स्थानीय लोगों के आकर्षण का केंद्र भी होगा।
इतिहास की करवटें
हिमाचल प्रदेश को शिवभूमि के रूप में भी जाना जाता है। शिव को यहां का जनमानस लोक रूप में पूजता है। ब्यास नदी के तट पर बसी बाबा भूतनाथ की नगरी मंडी जो छोटीकाशी के रूप में विख्यात है, शैवमत से प्रभावित रही है। मंडी रियासत का इतिहास सुकेत रियासत की सातवीं पीढ़ी से प्रारंभ होता है। जब सुकेत के राजा साहूसेन के छोटे भाई बाहूसेन ने अपने भाई से रूष्ट होकर कुछ विश्वास पात्र सैनिकों को साथ लेकर लोहारा जो तत्कालीन सुकेत रियासत की राजधानी थी, छोड़कर बल्ह के ही हाट में अपनी राजधानी बसाई थी।  इसी के साथ मंडी रियासत की स्थापना हुई थी। बाहूसेन ने ही हाटेश्वरी माता के मंदिर की स्थापना की थी। इसके पश्चात बाहूसने मंगलौर में जा बसा था। 1280 ई.में बाणसेन ने भ्यूली में मंडी रियासत की राजधानी स्थापित की। जो बटोहली होते हुए 1527 ई.में अजबर सेन ने बाबा भूतनाथ के मंदिर के साथ ही आधुनिक मंडी शहर की स्थापना की थी।
मनभावन मंडी
हिमाचल प्रदेश के हृदय स्थल में बसा मंडी नगर….अनुपम सौंदर्य, ऐतिहासिक, पुरातात्विक विरासत एवं समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को अपने में समेटे हुए है। ब्यास नदी के तट पर बसे होने और शिव मंदिरों की अधिकता एवं घाटों की बनावट के चलते मंडी को छोटी काशी के नाम भी जाना जाने लगा है। ब्यास नदी के तट पर बसा मंडी नदी घाटी सभ्यता का उत्कृष्ट उदाहरण है। बाबा भूतनाथ की यह नगरी शिव धाम होने की वजह से ही हिमाचल की छोटी काशी कहलाती है। मंडी शहर अतीत में तिब्बत, लद्दाख व यारकंद के व्यापार का प्रमुख पड़ाव रहा है। व्यापारिक केंद्र होने की वजह से भी मांडव्य नगरी मंडी के रूप में मशहूर हुई। ऐतिहासिक सिल्क रूट यारकंद से होशियारपुर का पड़ाव भी मंडी ही रहा है। मांडव्य नगरी ने जहां इतिहास की करवटों की पदचाप सुनी है वहीं यहां के गौरवशाली इतिहास को भी अपनी आंखों से बनते हुए देखा है।

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