नौणी विवि में पारिस्थितिकी साक्षरता पर प्रशिक्षण

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DNN नौणी

23 दिसम्बर। डॉ वाईएस परमार औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के पर्यावरण विज्ञान विभाग ने भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एनसीएसटीसी डिवीजन के सहयोग से ‘पर्वत पारिस्थितिकी के लचीलेपन के निर्माण के लिए पर्यावरण साक्षरता’ पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया। इस प्रशिक्षण का आयोजन पर्यावरण-जोखिम प्रबंधकों को विकसित करने और ऐसे सदस्यों की क्षमता बढ़ाने के लिए किया गया था जो पहले से ही प्रकृति से पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के महत्व पर जागरूकता पैदा करने में समाज की मदद कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों के ग्रामीण युवाओं सहित बीस प्रगतिशील किसानों को एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र बनाए रखने के लिए समाज को प्रशिक्षित करने के लिए पर्यावरण जोखिम प्रबंधकों के रूप में प्रशिक्षित किया गया। इस प्रशिक्षण में पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, जलवायु परिवर्तन आदि के कारकों और उसकी बहाली के तरीकों सहित कई बढ़ती पर्यावरणीय चुनौतियों पर चर्चा की गई। पर्यावरण विभाग के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम समन्वयक प्रोफेसर एस के भारद्वाज ने बताया कि पारिस्थितिकी तंत्र की वर्तमान स्थिति पर्यावरण-साक्षरता के निर्माण की मांग करती है ताकि परस्पर प्राकृतिक प्रणालियों को समझा जा सके जो पृथ्वी पर जीवन को पनपने देती हैं। डॉ. भारद्वाज ने कहा कि सभी को यह सीखने की जरूरत है कि प्रकृति कैसे जीवन का समर्थन करती है और कैसे हमारी आदतें प्रकृति पर प्रभाव डाल रही है। डॉ. आनंद शर्मा, सेवानिवृत्त अतिरिक्त निदेशक आरएमसी, आईएमडी नई दिल्ली शिविर के समापन समारोह में मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने दैनिक जीवन में प्रकृति के साथ सद्भाव में प्रथाओं का पालन करके सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता की भी वकालत की। प्रशिक्षण के दौरान, प्रतिभागियों को प्राकृतिक सिद्धांतों का पालन करके पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण के विभिन्न कारकों और उनके प्रबंधन पर शिक्षित किया गया। उन्हें परागण और खाद्य सुरक्षा में इसकी भूमिका, प्रकृति में जल और वायु शोधन प्रक्रियाओं, कचरे को मूल्यवान वस्तुओं में बदलने और पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली जैसी विभिन्न प्राकृतिक प्रक्रियाओं पर प्रशिक्षित किया गया। मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन और केवीके कंडाघाट का एक फील्ड दौरा भी आयोजित किया गया था और प्रतिभागियों को विवि में प्रगतिशील कृषि नेतृत्व शिखर सम्मेलन 2021 में भी जाना का मौका मिला। परियोजना के वरिष्ठ कार्यक्रम समन्वयक डॉ तन्वी कपूर ने कहा कि भविष्य के कार्यक्रमों में पारिस्थितिकी तंत्र पर हमारे पदचिह्नों के बारे में संवेदनशील बनाने के लिए वास्तविक स्थिति में कार्य करने का मौका दिया जाएगा। परियोजना के सह-पीआई डॉ एमके ब्रह्मी ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद किया और बताया कि भविष्य में कॉलेज के छात्रों के लिए इस तरह का प्रशिक्षण आयोजित किए जाएगें।

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