DNN सोलन/नौणी
01 नवम्बर। डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के कीट विज्ञान विभाग द्वारा राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड द्वारा वित्त पोषित परियोजना ‘हिमाचल प्रदेश में टिकाऊ उच्च-पहाड़ी मधुमक्खी पालन के लिए शहद और अन्य हाइव उत्पाद उत्पादन मॉडल’ के तहत आयोजित किया गया।
हिमाचल के चंबा, सोलन, सिरमौर, ऊना और बिलासपुर जिलों के 25 अनुभवी मधुमक्खी पालक इस एक्सपोजर विजिट का हिस्सा रहे। प्रदर्शन की शुरुआत सनलाइट इंडिया एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी, रुड़की के दौरे से हुई, जहां प्रतिभागियों को औद्योगिक शहद प्रसंस्करण और पैकेजिंग संयंत्र देखने का मौका मिला। इस विसिट में परियोजना की प्रधान अन्वेषक डॉ. मीना ठाकुर, डॉ. प्रियंका ठाकुर और डॉ. रोहित नायक भी मौजूद रहे। सनलाइट इंडिया के निदेशक योगेन्द्र पुनिया ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन के तहत स्थापित शहद प्रसंस्करण इकाई सभी मौनपालकों को दिखाई। मधुमक्खी पालकों को जैविक मधुमक्खी पालन पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया और शहद निर्यात के लिए आवश्यक गुणों के साथ-साथ निर्यात के लिए शहद प्रसंस्करण और पैकेजिंग पर जानकारी दी गई। प्रतिभागियों को आईआईटी-रुड़की भी जाने का अवसर मिला जहां डॉ. पार्थ रॉय ने शहद पर अनुसंधान एवं विकास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने भारतीय शहद के सेवन के लाभों के बारे में भी बताया जो कई मानव रोगों को ठीक करने में सहायक है।
प्रतिभागियों ने सुपरबी शहद फैक्ट्री, सहारनपुर का भी दौरा किया जहां देवव्रत शर्मा ने मूल्यवर्धित उत्पादों के बारे में जानकारी दी जो मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ा सकते हैं। एक्सपोजर विजिट का समापन एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र, रामनगर (हरियाणा) में हुआ, जहां प्रतिभागियों को शहद प्रसंस्करण, पैकेजिंग और अन्य छत्ता उत्पादों की सुविधाओं के बारे में जानकारी दी गई।
प्रगतिशील मधुमक्खी पालकों को एक मंच प्रदान करने और निर्यात, विपणन के लिए उनके ज्ञान को समृद्ध करने और उन्हें शहद उत्पादन के अलावा रॉयल जेली, मोम, प्रोपोलिस जैसे हाइव उत्पादों और मधुमक्खी कॉलोनी की बिक्री का अपना उद्यम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड और विश्वविद्यालय की इस पहल की सराहना की।