DNN सोलन
डॉ वाई॰एस॰ परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ॰ पी॰सी॰ शर्मा को पोस्ट-हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए हॉर्टिकल्चर सोसाइटी ऑफ इंडिया की फेलोशिप से सम्मानित किया गया है। डॉ॰ शर्मा वर्तमान में हमीरपुर के नेरी स्थित औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय में बतौर डीन कार्यरत हैं। उन्हें इस महीने रायपुर में आयोजित भारतीय बागवानी कांग्रेस 2019 के दौरान इस फेलोशिप से सम्मानित किया गया।
डॉ॰ शर्मा ने खुमानी/ जंगली खुमानी गुठली से खाद्य तेल को निकालने के लिए प्रसंस्करण प्रोटोकॉल विकसित की है और किसानों को इस तकनीक के हस्तांतरण के लिए खाद्य तेल निष्कर्षण इकाइयाँ स्थापित की हैं। अंगूर और खुमानी को सुखाने की प्रक्रिया,पैकेजिंग और सेब की ग्रेडिंग,सेब के पोमेस से पेक्टिन,नींबू और अंगूर के फ़ाइबर युक्त समृद्ध पेय पदार्थों की कई प्रक्रियाएं भी उसके द्वारा विकसित की गई हैं।
पीएयू लुधियाना से फूड-टेक्नोलॉजी (फ्रूट एंड वेजिटेबल टेक्नोलॉजी) में पीएचडी की पढ़ाई पूरी करने के बाद, डॉ॰ शर्मा ने कॉमनवेल्थ फैलोशिप के जरिये नॉर्थन आयरलैंड के क्वींस विश्वविद्यालय में पोस्ट-हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी पर अपना कार्य जारी रखा। 1981-87 तक उन्होंने हिमाचल प्रदेश हॉर्टिकल्चर विभाग में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएँ दी। 1987 में उन्होंने नौणी विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान केंद्र,शारबो से सहायक वैज्ञानिक के रूप में जुड़े। उन्होंने विश्वविद्यालय में फल विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इसके अलावा डॉ॰ शर्मा ने आईसीएआर- सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट-हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी,अबोहर में हॉर्टिकल्चरल क्रॉप प्रोसेसिंग डिवीजन के हेड के रूप में अपनी सेवाएँ दी। यहां उन्होंने बेर और खजूर के लिए न्यूमेटिक कोरिंग डिवाइस,किन्नु के जूस की डिबिटरिंग,बेर फलों की कैनिंग,कम कैलोरी वाले कैन्ड नाशपती और डायबिटीज के मरीजों के लिए आंवला-जामुन पेय जैसे तकनीक और उपकरण विकसित किए।