खादी आयोग द्वारा प्रदर्शनी स्थल बद्दी में हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन

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DNN नालागढ़
07 मार्च भारत सरकार के खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग द्वारा बद्दी स्थित नगर परिषद पार्क में 24 फरवरी से 10 मार्च तक  प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। प्रदर्शनी में आयोग की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों द्वारा तैयार उत्पादों से संबंधित प्रदर्शनी एवं विक्री केंद्र स्थापित किए गए हैं। प्रदर्शनी में जन आकर्षण को बढ़ावा देने के लिए निरंतर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इस कड़ी में 6 मार्च को आयोजकों द्वारा एक हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस मौके पर नालागढ़ साहित्य कला मंच के हास्य कवियों ने अनेक मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक प्रस्तुतियां दी।
मंच के अध्यक्ष यादव किशोर गौतम ने खादी के महत्व व इसे प्रोत्साहित करने के मकसद से “रंगदार ढंगधार खादी अपनी, खादी बड़ी डिजाइनी” नामक रचना से खूब वाहवाही लूटी। युवा कवि प्रमोद कुमार हर्ष ने महिलाओं के सम्मान में अपनी कविता “रोज देती उम्मीदों को तड़का” द्वारा महिला सम्मान के प्रति भावनात्मक संदेश दिया। उत्तर प्रदेश से अयोध्या नगरी निवासी व बीबीएन के व्यवसायी तथा सुप्रसिद्ध लेखक सरदार जसविंदर सिंह ने अपनी मनोरंजक प्रस्तुति “मैं सीधा भोला भाला, आलू था मोटा लाला” से उपस्थित जनों को गुदगुदाने का सफल प्रयास किया। मूल रूप से मध्यप्रदेश निवासी वरिष्ठ साहित्यकार डॉ प्रताप मोहन भारतीय ने अपनी सुंदर व्यंग्यात्मक रचना “वे रोज सुबह मां के पैर दबाते हैं मां किसकी अपनी या अपने बच्चों की यह नहीं बताते हैं” से सभी उपस्थित महिला, पुरुषों, बच्चों व बूढ़ो को हंसने पर मजबूर किया। सेवानिवृत्त बैंक प्रबंधक व प्रमुख समाजसेवी तथा लेखक हरिराम धीमान की व्यंग्यात्मक रचना “सुबह का सपना” की प्रस्तुति ने भी लोगों को खूब आनंदित किया। सेवानिवृत्त प्रोफेसर व क्षेत्र के जाने-माने  साहित्यकार प्रोफेसर रणजोत सिंह ने बदहाल सड़कों के बारे में अपने व्यंग्य बाण छोड़ कर जनता का भरपूर मनोरंजन किया। वरिष्ठ लेखक व साहित्यकार आदित कंसल ने  ग़ज़ल “बच्चे का इलाज कराने की खातिर मां किडनी बेचने को तैयार है” के माध्यम से लाचार सामाजिक व्यवस्था के प्रति संवेदनशील होने वारे महत्वपूर्ण संदेश दिया। सेवानिवृत्त कॉलेज प्रोफेसर व प्रमुख समाज सेविका कृष्णा बंसल ने अपनी रचना मोबाइल ना जाने क्या-क्या खा गया के द्वारा जीवन के बदलते दौर में संचार के विलुप्त साधनों तथा मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल के संबंध में महत्वपूर्ण संदेश दिया। लेखिका विजयलक्ष्मी की कविता “क्यों ना सूरज की रोशनी को पुकारा जाए” ने भी खूब वाहवाही लूटी। कार्यक्रम करीब 2 घंटे तक चला तथा लोग अंत समय तक कार्यक्रम का आनंद लेते रहे। खादी आयोग के निदेशक योगेश जय भामरे ने नालागढ़ संहिता कला मंच से आए सभी साहित्यकारों का प्रदर्शनी स्थल पर प्रस्तुति के लिए आभार व्यक्त किया तथा सभी को सम्मानित किया।उन्होंने बताया कि 15 दिवसीय प्रदर्शनी के दौरान आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों  का मुख्य उद्देश्य लोगों को को खादी वस्त्रों तथा आयोग से संबंधित अन्य उत्पादों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक करना है ताकि लोग आयोग द्वारा संचालित विभिन्न भंडारों से खाद्य उत्पाद खरीद खरीद कर लगातार उसका सेवन करते रहें। उन्होंने बताया कि खादी द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में गत 24 फरवरी से 6 मार्च तक लगभग 11 लाख रुपए के विभिन्न उत्पादों की बिक्री की गई है उन्होंने आम जन का आह्वान किया कि वे खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के माध्यम से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाएं तथा खादी को अपने रोजमर्रा जीवन में अपनाएं।  योगेश भामरे ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि खादी से जुड़े अनेक उत्पाद हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में तैयार किए जाते हैं इसलिए प्रदेशवासियों को इन उत्पादों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना चाहिए। खादी उत्पाद पूर्णत स्वदेशी हैं इसलिए यह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया नारा “वोकल फार लोकल” को  भी साकार कर रहा है।इस अवसर पर केवीआइसी के अधिकारी एवं कर्मचारी गण विभिन्न राज्यों से आए खादी से जुड़े हुए व्यवसायी तथा बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित थे।

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